माले: मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भारत के खिलाफ अपने रुख को लेकर अब बुरी तरह से फंसते हुए दिखाई दे रहे हैं. पर्यटन के मामले में करारी चोट खाने के बाद भी उनकी मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. ताजा जानकारी के मुताबिक, मालदीव की दो मुख्य विपक्षी पार्टियां मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी और डेमोक्रेट्स पार्टी आज यानी 5 फरवरी को संसद में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के भाषण में शामिल नहीं होने का फैसला लिया है. मालदीव की मीडिया ने इस बात की पुष्टि की है. इन दोनों पार्टियों की ओर से मुइज्जू की भारत विरोधी विचारधारा की आलोचना भी की थी.
हालांकि बहुमत प्राप्त एमडीपी ने अभी तक राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के भाषण के बहिष्कार के उद्देश्य का खुलासा नहीं किया है. हालांकि डेमोक्रेट्स पार्टी ने कहा है कि वे तीन मंत्रियों की फिर से नियुक्ति के कारण बैठक से दूर रहेंगे, जिन्हें संसद ने खारिज कर दिया था. मिहारू नामक मीडिया आउटलेट के अनुसार भाषण आज सुबह मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू द्वारा दिया जाएगा. संविधान के अनुसार राष्ट्रपति को वर्ष के पहले कार्यकाल के पहले सत्र में संसद को संबोधित करना, देश की स्थिति की रूपरेखा तैयार करना और सुधार लाने के लिए अपनी सिफारिशों को बताना जरूरी होता है.
पिछले महीने राजनयिक विवाद के बीच दोनों दलों ने भारत को देश का सबसे पुराना सहयोगी बताया था. एक संयुक्त बयान में दोनों पार्टियों ने मौजूदा प्रशासन पर भारत विरोधी रुख अपनाने का भी आरोप लगाया था. एमडीपी और डेमोक्रेट का मानना है कि किसी भी विकास भागीदार और विशेष रूप से देश के सबसे पुराने सहयोगी को अलग करना देश के दीर्घकालिक विकास के लिए खतरा है. देश की लगातार सरकारों को विकास के साथ काम करने में सक्षम होना चाहिए.
यह बयान मालदीव सरकार की हालिया घोषणा के कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें अनुसंधान और सर्वेक्षण के लिए एक चीनी जहाज को मालदीव के बंदरगाह पर खड़ा करने की अनुमति दी गई है. पिछले महीने मालदीव और भारत के बीच तनाव बढ़ गया था, क्योंकि मालदीव के पूर्व मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की थीं. नई दिल्ली ने पीएम की लक्षद्वीप यात्रा पर की गई टिप्पणियों पर मंत्रियों के खिलाफ औपचारिक विरोध दर्ज कराया था.
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