सुबह उठते ही नाक बंद होना कई लोगों के लिए दिन की शुरुआत को असहज बना देता है. लगातार छींकें आना या रूमाल का इस्तेमाल करना जरूरी लगना सामान्य है.
हैदराबाद के यशोदा अस्पताल के ENT विशेषज्ञ डॉ. मनुसृत बताते हैं कि यह आम है, लेकिन अगर यह बार-बार होता है तो किसी अंतर्निहित नाक या साइनस की समस्या की ओर संकेत कर सकता है. सही जानकारी और सावधानी से इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है.
डॉ. मनुसृत बताते हैं कि सुबह नाक बंद होने की सामान्य वजहें हैं – एलर्जी, नाक की शुष्कता, साइनस की सूजन या डिविएटेड सेप्टम. नींद के दौरान म्यूकस जमा हो जाता है और जब व्यक्ति लेटता है तो नाक के मार्ग में रक्त प्रवाह बढ़ने से सूजन आती है. यही कारण है कि सुबह उठते ही नाक बंद महसूस होती है. रात को सब सही होने के बावजूद सुबह यह समस्या दिखाई देती है.
कुछ रोजमर्रा की आदतें और वातावरण भी सुबह नाक बंद होने का कारण बनते हैं. डॉ. मनुसृत के अनुसार, धूल के कण, पालतू जानवरों का बाल या फफूंदी, एसी या हीटर का इस्तेमाल जो हवा को सुखा देता है, पंखे के नीचे सोना और कुछ सोने की स्थितियां नाक की बंदी बढ़ा सकती हैं. इन ट्रिगर्स को समझकर और नियंत्रित कर के सुबह की नाक बंद होने की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
नाक बंद होने से बचने के लिए नाक के मार्ग को साफ और नम रखना जरूरी है. इसके लिए डॉ. मनुसृत ने छह टिप्स दिए हैं: बिस्तर पर सोने और उठने से पहले सलाइन नेजल स्प्रे या नमक पानी से कुल्ला करें, बिस्तर और चादरें हफ्ते में गर्म पानी से धोएं, धूल से बचाने वाले कवर का इस्तेमाल करें, कमरे में ह्यूमिडिफायर रखें, तेज खुशबू और अगरबत्ती से बचें, और सुबह भाप लेना म्यूकस को ढीला कर नाक खोलता है.
अगर नाक बंद होना लगातार दो हफ्ते से अधिक रहता है या इसके साथ खर्राटे, गंध का नुकसान, चेहरे में दबाव या बार-बार साइनस सिरदर्द आता है, तो ENT विशेषज्ञ से मिलना चाहिए. डॉ. मनुसृत बताते हैं कि यह साइनसाइटिस, नाक के पोलिप्स या डिविएटेड सेप्टम के कारण हो सकता है, जिन्हें इलाज या मामूली प्रक्रिया की जरूरत होती है.
समय पर चिकित्सा देखभाल और उचित आदतों से सुबह नाक बंद होने की समस्या को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है. इससे सांस लेने में राहत, नींद की गुणवत्ता में सुधार और दिन की शुरुआत अधिक ताजगी से होती है. नियमित आदतें और नाक की सफाई इस समस्या को लंबे समय तक कम रख सकती हैं.