मध्य पूर्व में तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका है, जहां ईरान, अमेरिका और इज़रायल के बीच टकराव की स्थिति बनती जा रही है. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने हाल ही में सार्वजनिक तौर पर चेतावनी दी है कि अगर दुश्मन देशों ने फिर से कोई हिमाकत की, तो उन्हें पहले से अधिक शक्तिशाली जवाब मिलेगा. खामेनेई का यह बयान ऐसे समय में आया है जब तेहरान पर फिर से प्रतिबंध लगाने की अटकलें तेज हो गई हैं और परमाणु वार्ता को लेकर पश्चिमी देश नए प्रयासों में जुटे हैं.
बुधवार को ईरान के सरकारी टेलीविजन पर प्रसारित एक बयान में खामेनेई ने स्पष्ट कहा कि अमेरिका और इज़रायल को चेतावनी दी जाती है कि यदि उन्होंने ईरान पर दोबारा हमला करने की कोशिश की, तो उन्हें पहले से भी घातक और बड़ा हमला झेलना पड़ेगा. उन्होंने जनवरी में अमेरिकी अल-उदीद एयरबेस पर किए गए मिसाइल हमले का हवाला देते हुए कहा कि वह तो सिर्फ शुरुआत थी. खामेनेई ने अपने बयान में इज़रायल को 'गुलाम ज़ायोनी शासन' कहकर संबोधित किया और कहा कि ईरान हर तरह की स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है.
गौरतलब है कि यह बयान ऐसे समय में आया है जब पश्चिमी देश ईरान के साथ परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन ईरान की ओर से सख्त रुख अपनाया जा रहा है. पश्चिमी देशों द्वारा तेहरान पर फिर से प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जा रहा है, जिससे दोनों पक्षों के बीच खाई और गहरी हो रही है. ईरान अब पहले से ज्यादा आक्रामक दिखाई दे रहा है और यह बात खामेनेई के बयान से भी स्पष्ट होती है.
इज़रायल द्वारा फोर्डो न्यूक्लियर साइट पर किए गए हमले के बावजूद, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का मानना है कि ईरान की मिसाइल और ड्रोन क्षमताएं अभी भी मजबूत हैं. 'फाउंडेशन फॉर डिफेन्स ऑफ डेमोक्रेसीज' के मुताबिक ईरान के पास लगभग 1,500 मीडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइलें और उसके लगभग 50% लॉन्च सिस्टम अब भी सुचारू हैं. इसके मायने यह हैं कि ईरान के पास अब भी भारी जवाबी हमला करने की पूरी क्षमता मौजूद है.
वहीं दूसरी ओर, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे पर संयम बरतने का रुख अपनाया है. उन्होंने कहा कि अमेरिका बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्हें 'बात करने की कोई जल्दी नहीं है'. ट्रंप ने पत्रकारों से बातचीत में स्पष्ट किया कि अमेरिका स्थिति पर नजर बनाए हुए है और सभी विकल्प खुले रखे गए हैं. यह बयान उस समय आया है जब क्षेत्रीय तनाव तेजी से बढ़ रहा है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें इन देशों के अगले कदम पर टिकी हैं.