India-China Trade: भारत और चीन के बीच रिश्ते बेहतर हो रहे हैं. इस बदलाव का एक प्रमुख कारण वैश्विक व्यापारिक गतिशीलता, विशेष रूप से अमेरिका द्वारा शुरू किया गया 'टैरिफ युद्ध' माना जा रहा है. भारत चीने से आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) पर लगे कुछ प्रतिबंधों को हटाने को लेकर विचार कर रहा है. खास तौर पर, 2020 में लागू किए गए 'प्रेस नोट 3' की समीक्षा की संभावना जताई जा रही है, जो भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से निवेश के लिए सरकारी मंजूरी को अनिवार्य करता है.भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार का दौर हाल में ही शुरू हुआ है. जब दोनों देशों ने कूटनीतिक और आर्थिक स्तर पर बातचीत को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए. हाल ही में, चीनी विदेश मंत्री की भारत यात्रा और भारतीय प्रधानमंत्री की प्रस्तावित चीन यात्रा ने इस दिशा में सकारात्मक संकेत दिए हैं.
इस सुधार का एक महत्वपूर्ण पहलू अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा 27 अगस्त 2025 से भारत पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा भी मानी जा रही है. इस टैरिफ युद्ध ने भारत को अपने वैश्विक व्यापारिक रणनीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया है. इसके परिणामस्वरूप, भारत और चीन एक-दूसरे के करीब आए हैं.
प्रेस नोट 3 और FDI नियमों में संभावित बदलाव
प्रेस नोट 3, जिसे कोविड-19 संकट के दौरान लागू किया गया था, भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों (जैसे चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान आदि) से आने वाले FDI के लिए सरकारी मंजूरी को अनिवार्य करता है. इसका उद्देश्य रणनीतिक क्षेत्रों में भारतीय स्वामित्व को सुरक्षित रखना और कम मूल्यांकन के समय विदेशी अधिग्रहण को रोकना था. हालांकि, अब बदलते वैश्विक परिदृश्य और भारत-चीन संबंधों में सुधार के चलते, सरकार इस नीति की समीक्षा पर विचार कर रही है.
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि हम परिस्थितियों पर नजर बनाए हुए हैं और उसके अनुसार चीनी FDI पर नियंत्रणों की समीक्षा की जा सकती है. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह नीति किसी भी तरह से निवेश पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाती, बल्कि एक सतर्क दृष्टिकोण अपनाया गया है. गोयल ने यह भी जोड़ा कि जहां तकनीक, उद्योग, या आपूर्ति श्रृंखला भारत के हितों के अनुरूप होगी, वहां निवेश को मंजूरी दी जाएगी.