India Pakistan News: सिंगापुर में आयोजित शांगरी-ला वार्ता में भारत और पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने एक-दूसरे को कड़ी चेतावनियां दीं. भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान और पाकिस्तान के जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन जनरल साहिर शमशाद मिर्जा ने इस वैश्विक रक्षा मंच पर अपनी बात रखी. दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण रिश्तों ने इस वार्ता में सभी का ध्यान खींचा.
जनरल अनिल चौहान ने अपने संबोधन में भारत की आतंकवाद के प्रति 'शून्य सहनशीलता' की नीति को दोहराया. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक नई 'रेड लाइन' खींच दी है. उन्होंने कहा, "पिछले दो दशकों से हम आतंकवाद की प्रॉक्सी वॉर झेल रहे हैं, जिसमें हमने कई लोगों को खोया है. अब हम इसे खत्म करना चाहते हैं." जनरल चौहान ने उम्मीद जताई कि यह ऑपरेशन पड़ोसी देश को सबक देगा कि भारत की सहनशीलता की सीमा अब खत्म हो चुकी है.
पाकिस्तान के जनरल ने उठाया कश्मीर का मुद्दा
पाकिस्तान के जनरल साहिर शमशाद मिर्जा ने अपने भाषण में कश्मीर मुद्दे को उठाया और कहा कि दक्षिण एशिया में स्थायी शांति के लिए कश्मीर समस्या का समाधान जरूरी है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की आकांक्षाओं के आधार पर इसका हल निकालने की बात कही. मिर्जा ने चेतावनी दी कि अगर दोनों देश संघर्ष समाधान की दिशा में नहीं बढ़े, तो स्थिति और विनाशकारी हो सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव ने दोनों देशों के लिए खतरे को और बढ़ा दिया है.
ऑपरेशन सिंदूर और दोनों देशों का तनाव
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, के जवाब में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया. इस ऑपरेशन के तहत भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया. चार दिन तक चले इस सैन्य संघर्ष को 10 मई को दोनों देशों के बीच सैन्य कार्रवाई रोकने की सहमति के साथ खत्म किया गया. भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूहों को जिम्मेदार ठहराया, जबकि पाकिस्तान ने इन आरोपों से इनकार किया.
सुरक्षा और शांति के लिए रास्ता
शांगरी-ला वार्ता में दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों ने अपनी-अपनी बात रखी, लेकिन यह साफ है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा. जनरल मिर्जा ने जहां वैश्विक शक्तियों से हस्तक्षेप की बात कही, वहीं जनरल चौहान ने भारत के सख्त रुख को स्पष्ट किया. इस वार्ता ने एक बार फिर दोनों देशों के बीच कश्मीर और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर गहरे मतभेदों को उजागर किया.
आगे की राह
यह घटना दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के लिए बड़ी चुनौती पेश करती है. दोनों देशों को आपसी बातचीत और विश्वास बहाली की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है. शांगरी-ला वार्ता जैसे मंच इस तरह के मुद्दों पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन असल समाधान तभी संभव है जब दोनों पक्ष खुले मन से संघर्ष समाधान की दिशा में काम करें.