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India Daily
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चीन और पाक से हुआ वॉर तो कितना तैयार है भारत? कमजोर एयर डिफेंस सिस्टम कहीं फेर न दे उम्मीदों पर पानी 

India Air Defence: ईरान के इजरायल पर हमले के बाद रक्षा जानकारों ने भारत को अपनी हवाई सुरक्षा मजबूत करने पर ध्यान देने को कहा है. भारत पहले से ही चीन और पाकिस्तानी मोर्चे पर लंबे समय से आक्रामक रवैये का सामना कर रहा है.

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Shubhank Agnihotri
India Missile defence system

India Air Defence: मिसाइली सुरक्षा को हासिल करना आमतौर पर काफी जटिल और महंगा माना जाता है. यह बात भी सही है कि किसी भी सेना के सैन्य जखीरे में मिसाइलों का होना उसकी सैन्य शक्ति में व्यापक विस्तार करता है. हालांकि इसका होना कुछ इस तरह है जैसे फायर की गई गोली को रोकने के लिए गोली चलाना. इजरायल और ईरान के संघर्ष के बीच हमने मिसाइली हमलों को देखा और इजरायल ने उन्हें अपने हवाई क्षेत्र में पहुंचने से पहले ही नष्ट कर दिया.  इस संघर्ष  ने भारत की हवाई सुरक्षा को लेकर एक नया सवाल खड़ा कर दिया है. भारत पाकिस्तान और चीन के साथ जंग की स्थिति में अपनी हवाई सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करेगा. भारत इजरायल की तुलना में काफी बड़ा देश है. ऐसे में उसे सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने हवाई सीमा क्षेत्र की सुरक्षा को मजबूत करना होगा और उसे कोई दुश्मन की मिसाइल भेद न सके ऐसा बनाना होगा.

रिपोर्ट के अनुसार, भारत इजरायल या ईरान की तुलना में काफी बड़ा देश है जो दो प्रमुख दुश्मन देशों चीन और पाकिस्तान से घिरा हुआ है. इन तथ्यों को देखते हुए भारत को एक बहुस्तरीय और एकीकृत मिसाइल डिफेंस सिस्टम की आवश्यकता है. भारत को इसके अलावा पूर्व निगरानी क्षमता, कमांड पोस्ट, अर्ली वॉर्निंग सिस्टम और भूमि और सागर आधारित एडवांस मिसाइल इंटरसेप्टर को विकसित करने पर अधिक ध्यान देने की भी जरूरत है.

भारत की वायु रक्षा प्रणालियाँ केवल कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों और प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए तैयार हैं. भारत इतना विशाल है कि इसे सभी प्रकार के हवाई खतरों से प्रभावी ढंग से बचाया नहीं जा सकता लेकिन हां, गोलियां खरीदने के अलावा हमें बुलेटप्रूफ जैकेटों में भी और अधिक निवेश करने की जरूरत है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, मिसाइल रक्षा अब रणनीतिक सुरक्षा के बजाय एक बड़ी सामरिक आवश्यकता बन गई है. रिपोर्ट के अनुसार, देश के विशाल आकार के कारण मिसाइल रक्षा प्रणालियों को हर जगह तैनात नहीं किया जा सकता इसलिए इन्हें केवल कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों और रक्षा प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए ही तैनात किया जा सकता है.

रक्षा जानकारों के मुताबिक, भारत को अब अपने स्वदेशी तकनीक से निर्मित टू टियर बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम (BMD) को महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तैनात करने की आवश्यकता है. इस मिसाइल को डीआरडीओ ने बनाया है. यह दुश्मन की ओर से दागे गए किसी भी हमले को नष्ट करने में सक्षम है. यह मिसाइल पृथ्वी के वातावरण के अंदर और बाहर दोनों जगह परमाणु और अन्य बैलिस्टिक मिसाइलों को तबाह करने के लिए बनाई गई है. डीआरडीओ ने बीएमडी के पहले चरण के सफलतापूर्वक परीक्षण के बाद सागर आधारित मिसाइल इंटरसेप्टर की भी टेस्टिंग की थी. हालांकि केंद्र सरकार ने बीएमडी मिसाइल डिफेंस सिस्टम को किसी भी महत्वपूर्ण स्थान पर तैनात करने की मंजूरी नहीं दी है. 

भारतीय वायुसेना के पास रूस का एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम मौजूद है जो फाइटर जेट, जासूसी विमानों, ड्रोन और कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को पता लगाने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम है. भारत के पास रूसी एयर डिफेंस सिस्टम की 3 स्क्वाड्रन मौजूद हैं. 380 किमी की क्षमता वाले इस एयर डिफेंस सिस्टम को पाकिस्तान और चीन से जुड़ी सीमाओं पर तैनात किया गया है. एस-400 की दो स्क्वाड्रन की डिलीवरी रूस यूक्रेन जंग के कारण दो साल के लिए आगे बढ़ गई है. भारत और रूस ने 5.18 बिलियन डॉलर के समझौते पर साल 2018 में हस्ताक्षर किए थे.

भारत इसके अलावा कुश प्रोजेक्ट के तहत सतह से हवा में मार करने वाली लंबी दूरी की मिसाइलों (LR-SAM) का भी निर्माण कर रहा है. यह मिसाइलें 350 किमी इंटरसेप्ट क्षमता के साथ साल 2028-29  तक तैयार हो जाएंगी. भारत के पास 70 किमी से अधिक रेंज वाला बराक-8 मिसाइल सिस्टम भी है जो सतह से हवा में मार करने में सक्षम है. इसे भारत और इजरायल ने संयुक्त रूप से विकसित किया है. भारतीय सेना और वायु सेना ने स्वदेशी तकनीक से निर्मित आकाश एयर डिफेंस सिस्टम को भी कई मोर्चों पर तैनात किया है.