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भारत को यूएन की आर्थिक और सामाजिक परिषद में मिली सदस्यता, विदेश मंत्री ने खुशी जाहिर करते हुए कही यह बात

भारत ने वैश्विक मंच पर एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को घोषणा की कि भारत को 2026-28 की अवधि के लिए संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC) के लिए चुना गया है. 

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Edited By: Garima Singh
jai shankar
Courtesy: x

Economic and Social Council: भारत ने वैश्विक मंच पर एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को घोषणा की कि भारत को 2026-28 की अवधि के लिए संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC) के लिए चुना गया है. ECOSOC संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय विकास को बढ़ावा देने में केंद्रीय भूमिका निभाता है.

ये मंच नए विचारों को प्रोत्साहित करता है, वैश्विक सहमति बनाता है और अंतरराष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समन्वय करता है. विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, "भारत को आज संयुक्त राष्ट्र में 2026-28 के कार्यकाल के लिए आर्थिक और सामाजिक परिषद के लिए चुना गया. सदस्य देशों को उनके भारी समर्थन और हम पर अपना भरोसा जताने के लिए धन्यवाद.

वैश्विक समर्थन और भारत का योगदान

जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों का उनके समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया. उन्होंने न्यूयॉर्क में भारत के स्थायी मिशन की मेहनत को भी सराहा. ECOSOC, जिसे 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा स्थापित किया गया था, वैश्विक सम्मेलनों और शिखर सम्मेलनों के परिणामों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. भारत इस मंच के माध्यम से सतत विकास के तीनों आयामों - आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय  को मजबूत करने के लिए तत्पर है. 

डॉ. बी.आर. अंबेडकर की विरासत का सम्मान

इससे पहले अप्रैल में, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने न्यूयॉर्क में डॉ. बी.आर. अंबेडकर की 135वीं जयंती पर एक विशेष स्मारक कार्यक्रम आयोजित किया था. इस आयोजन में वैश्विक नेताओं ने भाग लिया और भारत के संविधान निर्माता के योगदान को याद किया. भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने कहा, "डॉ. बीआर अंबेडकर की 135वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित इस स्मारक कार्यक्रम में आपका स्वागत करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है. डॉ. अंबेडकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी व्यक्ति थे और भारत के संविधान के निर्माता थे.'

वैश्विक मंच पर अंबेडकर का प्रभाव

कार्यक्रम का विषय "संयुक्त राष्ट्र और उसके बाहर डॉ. अंबेडकर के दृष्टिकोण की शाश्वत अपील" था, जो उनके विचारों की वैश्विक प्रासंगिकता को दर्शाता है. हरीश ने कहा कि यह आयोजन संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के 80वें वर्ष में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. भारत इस मंच के माध्यम से सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के लिए अंबेडकर के सिद्धांतों को और मजबूत करेगा.