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India Daily

क्या है केंद्र शासित संशोधन विधेयक? जिसके वजह से जा सकती है PM-CM या किसी भी मंत्री की कुर्सी

केंद्र सरकार ने संसद में तीन विधेयक पेश करने का निर्णय लिया है, जिनमें प्रावधान होगा कि प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री यदि गंभीर आपराधिक मामले में लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहता है तो उसे पद से हटाया जाएगा. ये विधेयक संविधान, केंद्र शासित प्रदेश अधिनियम और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन से जुड़े हैं.

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Edited By: Km Jaya
Major constitutional change
Courtesy: Social Media

Constitution Amendment Bill 2025: केंद्र सरकार ने नेताओं पर लगाम कसने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया है. सरकार बुधवार को लोकसभा में तीन अहम विधेयक पेश करने जा रही है, जिनमें प्रावधान है कि अगर प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री किसी गंभीर आपराधिक मामले में गिरफ्तार होकर लगातार 30 दिन से अधिक हिरासत में रहते हैं तो उन्हें पद से हटाया जाएगा.

वर्तमान में न तो संविधान और न ही किसी अन्य कानून में ऐसा प्रावधान है कि गिरफ्तारी या न्यायिक हिरासत की स्थिति में नेताओं को पद से हटाया जा सके. इन्हीं खामियों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार संघ राज्य क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक 2025, संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 पेश करेगी. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इन विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव भी पेश करेंगे.

क्या है केंद्र शासित संशोधन विधेयक?

केंद्र शासित प्रदेश  (संशोधन) विधेयक, 2025 के उद्देश्यों के मुताबिक केंद्र शासित प्रदेश अधिनियम 1963 के अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था कि मुख्यमंत्री या मंत्री को गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तारी की स्थिति में हटाया जा सके लेकिन अब कानून की धारा 45 में संशोधन कर यह व्यवस्था की जाएगी. जिससे मंत्रियों को भी उनके पद से हटाया जा सकता है.

संविधान का 130वां संशोधन

संविधान का 130वां संशोधन विधेयक, 2025  के उद्देश्यों में कहा गया है कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि किसी मंत्री को गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तारी या हिरासत की स्थिति में उनके पद से हटाया जा सके. संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन कर यह प्रावधान किया जाएगा कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री यदि पांच साल या उससे अधिक सजा वाले अपराध में 30 दिन तक हिरासत में रहते हैं तो उन्हें पद से हटा दिया जाएगा.

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन

2019 के अधिनियम में भी ऐसा कोई प्रावधान नहीं था. अब धारा 54 में नया खंड (4A) जोड़ा जाएगा. इसके अनुसार, मुख्यमंत्री की सलाह पर उपराज्यपाल 31वें दिन मंत्री को हटा देंगे और यदि मुख्यमंत्री कार्रवाई नहीं करते तो अगले दिन मंत्री स्वत: पद से हटा हुआ माना जाएगा.

जनता के विश्वास पर जोर

विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि निर्वाचित नेता जनता की उम्मीदों का प्रतीक होते हैं, इसलिए उनका आचरण संदेह से परे होना चाहिए. गंभीर आपराधिक मामलों में आरोपी मंत्री संविधान और सुशासन की नैतिकता को कमजोर करते हैं. इसलिए जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिए यह प्रावधान आवश्यक है.