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अंटार्कटिका के पेंग्विन को खत्म कर देगी धूप और गर्मी? समझिए क्यों पैदा हो रहा खतरा

रिसर्च में यह सिद्ध हो चुका है कि सूरज से निकलने वाली पराबैगनी किरणों से स्किन कैंसर और मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है.

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hole in the antarctica ozone layer

इंसानी हवस के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण अंटार्कटिका में रहने वाली सील और पेंगुइन के अस्तित्व पर खंतरा मंडराने लगा है और वैज्ञानिकों ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त है. दरअसल, ग्लोबल वार्मिंग के कारण अंटार्कटिका में ओजोन लेयर में झेद हो गया है जिसके कारण यहां रहने वाले जीवों पर धूप से जलने का खतरा बढ़ गया है.
 

बता दें कि ओजोन परत सूर्य से निकलने वाली कैंसर कारक पराबैगनी किरणों से सुरक्षा प्रदान करती है. कैंसर से सुरक्षा देने वाला इस ओजोन परत में  अंटार्कटिका के इलाके में एक छेद हो गया है जो कि यहां के जीवों के लिए खतरा बना हुआ है.

एक साल से ज्यादा समय से बना हुआ है छेद

हालांकि यह छेद आम तौर पर अंटार्कटिक क्षेत्र में कुछ ही महीनों के लिए रहता है लेकिन रिसर्चरों ने चेतावनी दी है कि यह एक साल से ज्यादा समय से यहां बना हुआ है. यह अध्ययन 'जर्नल ग्लोब चेंज बायोलॉजी' में प्रकाशित हुआ है. वोलोंगोंग विश्वविद्यालय के जलवायु परिवर्तन जीवविज्ञानी प्रोफेसर शेरोन रॉबिन्सन ने ओजोन परत में छेद होने पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि जब में लोगों को बताती हूं कि में ओजोन छेद के लिए काम करती हूं तो वो मुझसे कहते हैं कि 'ओह क्या ये अब बेहतर नहीं है?'

क्या है ओजोन परत का काम

बता दें कि पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में एक ओजोन परत है जो सूर्य की हानिकारक किरणों से पृथ्वी पर रहने वाले जीवों को सुरक्षा प्रदान करती है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हुए जलवायु परिवर्तन के कारण इस ओजोन परत को भारी नुकसान हुआ है. ओजोन परत को होने वाली हानि का प्रमुख कारण ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगने वाली आग से निकलने वाले धुंए को माना जाता है.

कब हुई थी अंटार्कटिका की ओजोन पर में छेद की खोज

अंटार्कटिका के वायुमंडल में ओजोन परत में होने वाले छेद की खोज सबसे पहले 1985 में हुई थी और इसके लिए  सीएफसी या क्लोरोफ्लोरोकार्बन को जिम्मेदार बताया गया था. ओजोन परत में छेद का पता लगने पर दुनियाभर के देशों ने 1987 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल समझौता किया जिसके तहत सभी देश ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले रसायनों का चरणबद्ध तरीके से उपयोग बंद करने पर सहमत हुए.

इस समझौते पर अमल के बाद ओजोन परत ठीक होने लगी थी लेकिन अंटार्कटिका के ऊपर हर साल ओजोन परत में हो रहे क्षेद की घटना ने पर्यावरणविदों को चिंता में डाल दिया है. इस क्षेत्र में ओजोन परत बहुत कम हो गयी है.

खुलता व बंद होता रहता है छेद

हालांकि ओजोन परत में यह क्षेत्र तापमान में बदलाव के आधार पर खुलता व बंद होता रहता है. आम तौर पर यह छेद अगस्त के आसपास खुलता है और अक्टूबर तक खुला रहता है और नवंबर के अंत में बंद हो जाता है.

अंटार्कटिका के जीवों और वनस्पतियों पर मंडराया खतरा

विशेषज्ञों का कहना है कि यह लंबे समय तक बना रहता है और अंटार्कटिका में  लगभग पूरी गर्मी बना रहता है जिस समय वहां की प्रजातियां सबसे अधिक खतरे में रहती हैं.

UV रेज से स्किन कैंसर और मोतियाबिंद का खतरा

शोध में यह सिद्ध हो चुका है कि सूर्य की पराबैगनी किरणों से इंसानों में स्किन कैंसर और मोतियाबिंद होने का खतरा बढ़ जाता है, हालांकि अभी तक यह बाद सिद्ध नहीं हुई है कि क्या अंटार्कटिक में रहने वाले जीवों के लिए पराबैगनी किरणें हानिकारक हैं या नहीं. प्रोफेसर रोबिंसन ने कहा कि लेकिन पराबैगनी किरणों (Ultraviolet Rays) से सबसे ज्यादा खतरा अंटार्कटिका में रहने वाले जानवरों की आंखों को है.

UV रेज से बचने के लिए समुद्र में नीचे जा रही क्रिल

इसके अलावा अंटार्कटिका में उगने वाली वनस्पति को भी इससे खतरा है. अंटार्कटिका में उगने वाली वनस्पति 'क्रिल' अल्ट्रावायलेट किरणों से बचने के लिए समुद्र में नीचे की ओर जा रही है जिससे वहां की सीलों, पैंगुइन और अन्य समुद्री पक्षियों के सामने भोजन का संकट पैदा हो रहा है.

वैज्ञानिकों ने कहा- यह खतरे की घंटी
वैज्ञानिकों का कहना है कि अंटार्कटिक ओजोन छिद्र की रिकॉर्ड अवधि "एक खतरे की घंटी" है. उन्होंने अंटार्कटिका के वायुमंडल पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को सीमित करने के लिए जलवायु को ठंडा करने के प्रयोगों का प्रस्ताव दिया है.