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विपक्ष को डिप्टी स्पीकर का पद क्यों चाहिए? सचमुच है जरूरत या NDA में लड़ाई कराने का है प्लान

How will India Alliance benefit from NDA Rift: 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव 26 जून को होने की संभावना है, लेकिन सत्तारूढ़ गठबंधन का उम्मीदवार कौन होगा, इस पर अटकलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से इस बात पर जोर दिए जाने के कुछ दिनों बाद कि लोकसभा अध्यक्ष का पद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के 'किंगमेकर' - जनता दल (यूनाइटेड) और तेलुगु देशम पार्टी को आवंटित किया जाना चाहिए - भाजपा के नेतृत्व वाले गुट में अलग-अलग राय सामने आई है.

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Edited By: India Daily Live
NDA Alliance
Courtesy: IDL

How will India Alliance benefit from NDA Rift: 18वीं लोकसभा का पहला सेशन 24 जून से शुरू होकर 3 जुलाई को समाप्त होगा. इस 9 दिवसीय स्पेशल सेशन के दौरान अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया 26 जून से शुरू होगी. 17वीं लोकसभा में भाजपा के ओम बिरला अध्यक्ष थे, जबकि उपाध्यक्ष का पद खाली रहा था. 

भारतीय जनता पार्टी ने अब इस पद को भरने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को लोकसभा अध्यक्ष के लिए आम सहमति बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है. भारतीय जनता पार्टी फिलहाल अध्यक्ष पद के लिए अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार को नॉमिनेट करना चाहती है जबकि डिप्टी स्पीकर के पद पर एनडीए के सहयोगी 4 दलों में से कोई भी हो सकता है. 

डिप्टी स्पीकर के लिए ज्वाइंट कैंडिडेट उतार सकता है इंडिया गठबंधन

2014 के बाद से यह पहली बार है कि भाजपा के पास खुद पूर्ण बहुमत नहीं है. परंपरागत रूप से उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के नेता को दिया जाता रहा है. हालांकि, इस बार संभव है कि उपाध्यक्ष का पद एनडीए के किसी नेता को मिल जाए. इस बीच, चर्चा यह भी है कि अगर ऐसा होता है तो विपक्ष उपाध्यक्ष पद के लिए संयुक्त उम्मीदवार उतार सकता है. 

सूत्रों ने शनिवार को इंडिया टुडे टीवी को बताया कि अगर विपक्षी दलों को उपसभापति का पद नहीं दिया जाता है तो वे 18वीं लोकसभा में अध्यक्ष पद के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा कर सकते हैं. विपक्षी दलों में फिर से जोश देखने को मिला क्योंकि इंडिया गठबंधन गुट ने 233 सीटों पर जीत हासिल की. ​​

तो इस वजह से सभी की है पद पर नजर

दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाब रहा, लेकिन उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा सहित हिंदी पट्टी में उसे काफी नुकसान उठाना पड़ा. चूंकि दस साल के अंतराल के बाद गठबंधन सरकार सत्ता में आई है, इसलिए लोगों की नजर में स्पीकर की शक्ति फिर से आ गई है. खासतौर से, संविधान के अनुसार उपसभापति एक स्वतंत्र पद है, और वह अध्यक्ष के अधीन नहीं होता है.

स्पीकर-डिप्टी स्पीकर के चुनाव पर सहयोगी दलों के सुर अलग

भाजपा ने लोकसभा चुनाव में बहुमत के आंकड़े से 32 कम यानि सिर्फ 240 लोकसभा सीटें जीतीं वहीं एन चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी ने 16 और नीतीश कुमार की जेडी(यू) ने 12 लोकसभा सीटें जीतकर किंगमेकर का रोल हासिल कर लिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बनाने के लिए गठबंधन की जरूरत बन गए. जहां स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के सेलेक्शन को लेकर जेडीयू ने कहा है कि वह भाजपा के उम्मीदवार का समर्थन करेगी तो वहीं टीडीपी ने सुझाव दिया है कि सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगियों को सर्वसम्मति से उम्मीदवार को चुनने की सलाह दी है.

टीडीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पट्टाभि राम कोम्मारेड्डी ने कहा, 'एनडीए के सहयोगी दल साथ बैठकर तय करेंगे कि अध्यक्ष पद के लिए हमारा उम्मीदवार कौन होगा. एक बार आम सहमति बन जाने पर हम उस उम्मीदवार को मैदान में उतारेंगे और टीडीपी समेत सभी सहयोगी उसका समर्थन करेंगे.' 

राजनाथ को मिली सहमति बनाने की कमान पर कौन है रेस में सबसे आगे

शायद टीडीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पट्टाभि की यह मांग बीजेपी तक पहुंच गई है और इसी के चलते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को उम्मीदवार के लिए सभी दलों में आम सहमति बनवाने की जिम्मेदारी दी गई है. फिलहाल इस पद के लिए मुकाबला आंध्र प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दग्गुबाती पुरंदेश्वरी और अमलापुरम निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार टीडीपी सांसद बने जीएम हरीश बालयोगी के बीच है. दोनों को इस पद के लिए मजबूत दावेदार माना जा रहा है. अध्यक्ष का चुनाव महत्वपूर्ण है क्योंकि यह तय करेगा कि लोकसभा कैसे काम करती है.

एनडीए सहयोगियों को आपस में लड़ाना चाहती है INDIA?

जहां एक ओर डिप्टी स्पीकर के पद पर एनडीए में दरार नजर आ रही है तो वहीं पर 233 सीटें जीतने वाला विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक इसका फायदा उठाने की कोशिश करता नजर आ रहा है. इंडिया गठबंधन को विश्वास है कि एनडीए की गठबंधन की सरकार में आज नहीं तो कल दरार आएगी ही और जब ऐसा होगा तो वो उसका फायदा उठाकर सरकार बनाने की कोशिश करेगा. इसी फेहरिस्त में शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने पहली चाल चली.

एनडीए में लोकसभा स्पीकर के चुनाव को लेकर जैसे ही अलग-अलग राय सामने आए वैसे ही संजय राऊत ने बयान दिया और कहा कि अगर टीडीपी लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए उम्मीदवार उतारती है तो विपक्षी दल इंडिया गठबंधन के सभी सहयोगी दल उसका समर्थन करेंगे. संजय राउत ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव महत्वपूर्ण है और आरोप लगाया कि अगर भाजपा को यह पद मिलता है तो इससे टीडीपी, जेडी(यू) और चिराग पासवान तथा जयंत चौधरी के राजनीतिक संगठन टूट जाएंगे.

राउत ने कहा, 'हमारा अनुभव है कि भाजपा अपने समर्थकों को धोखा देती है. मैंने सुना है कि टीडीपी अपना उम्मीदवार उतारना चाहती है. अगर ऐसा होता है तो भारत के सभी सहयोगी दल इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे और हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि भारत के सभी सहयोगी दल टीडीपी को समर्थन दें.'

अगर ये शर्त मानी तो स्पीकर का चुनाव नहीं लडे़गा इंडिया गठबंधन

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने भी दावा किया कि अगर भाजपा को अध्यक्ष का पद मिलता है तो वह जेडी(यू) और टीडीपी सांसदों की खरीद-फरोख्त शुरू कर देगी. राउत ने आगे कहा कि विपक्ष को नियमानुसार उपाध्यक्ष का पद मिलना चाहिए. INDIA ब्लॉक ने अध्यक्ष पद के लिए अपना उम्मीदवार उतारने की मंशा जाहिर की है, लेकिन राजनीतिक एक्सपर्ट्स ने सुझाव दिया है कि अगर उपसभापति का पद दिया जाता है तो विपक्षी गठबंधन इस पद से पीछे हट सकता है.

पिछले पांच सालों से उपसभापति का पद खाली है और विपक्ष को उम्मीद है कि इस बार इसे भरा जाएगा. ऐतिहासिक रूप से, उपसभापति का पद विपक्षी दलों द्वारा भरा जाता रहा है, जो लोकतांत्रिक मानदंडों को मजबूत करता है और अध्यक्ष के कार्यालय की निरंतरता सुनिश्चित करता है.