menu-icon
India Daily

अब वायु प्रदूषण मुक्त होगा भारत, देश के 130 प्रमुख शहरों को साफ करने के लिए मोदी सरकार का बड़ा एक्शन प्लान

गुरुवार को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने संसद को बताया कि ये योजनाएं राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) का हिस्सा हैं. इन योजनाओं में मिट्टी और सड़क की धूल, वाहन, घरेलू ईंधन, नगरपालिका ठोस कचरा जलाना, निर्माण सामग्री और उद्योगों जैसे प्रदूषण स्रोतों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.

auth-image
Edited By: Sagar Bhardwaj
India launches targeted air pollution control plans for 130 major cities

भारत सरकार ने देश के प्रमुख शहरों में बिगड़ती वायु गुणवत्ता से निपटने के लिए 130 शहरों, जहां की आबादी 10 लाख से अधिक है, के लिए लक्षित स्वच्छ वायु कार्य योजनाएं शुरू की हैं. गुरुवार को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने संसद को बताया कि ये योजनाएं राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) का हिस्सा हैं. इन योजनाओं में मिट्टी और सड़क की धूल, वाहन, घरेलू ईंधन, नगरपालिका ठोस कचरा जलाना, निर्माण सामग्री और उद्योगों जैसे प्रदूषण स्रोतों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.

वायु प्रदूषण: एक गंभीर चुनौती

भारत के बड़े शहरों में वायु प्रदूषण एक प्रमुख समस्या है, जो जन स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है. NCAP के तहत किए गए स्रोत विभाजन (Source Apportionment) अध्ययनों से पता चला है कि सड़क और निर्माण कार्यों से उत्पन्न धूल PM10 प्रदूषण का 40-50% हिस्सा है. NCAP के तहत शहरों ने सड़क सुधार, यातायात भीड़ कम करने, चौराहों के उन्नयन और खुले स्थानों को हरा-भरा करने को प्राथमिकता दी है.

वित्तीय सहायता और कार्यान्वयन

वित्त वर्ष 2020 से 20 जुलाई 2025 तक NCAP के तहत 130 शहरों को 13,036 करोड़ रुपए जारी किए गए, जिनमें से 9,209 करोड़ रुपए का उपयोग शहरी स्थानीय निकायों ने किया. औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण के लिए उद्योग स्वयं कार्रवाई कर रहे हैं, जबकि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उत्सर्जन मानकों की निगरानी कर रहे हैं. वाहन प्रदूषण को कम करने के लिए BS-VI उत्सर्जन मानक लागू किए गए हैं, और PM E-DRIVE और PM-eBus सेवा जैसी योजनाओं के माध्यम से इलेक्ट्रिक गतिशीलता को बढ़ावा दिया जा रहा है.

कृषि अवशेष जलाने पर रोक

उत्तर भारत में धान की पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने पराली आधारित पेलेटाइजेशन और टॉरिफिकेशन संयंत्र स्थापित करने के लिए एकमुश्त वित्तीय सहायता के दिशानिर्देश तैयार किए हैं. दिल्ली-NCR के 300 किमी के दायरे में थर्मल और कैप्टिव पावर प्लांट्स में 5-10% बायोमास कोयले के साथ जलाने के निर्देश भी दिए गए हैं.

विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट पर सवाल

मंत्री ने 'विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2024' को खारिज करते हुए कहा, "38% डेटा सरकारी स्रोतों से और 62% अन्य एजेंसियों से लिया गया है. इसमें कम लागत वाले सेंसर (LCS) से डेटा शामिल है, जो नियामक उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं होता." उन्होंने बताया कि विभिन्न स्रोतों से डेटा में त्रुटि और अनिश्चितता हो सकती है, जिससे यह भ्रामक हो सकता है.