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BJD के 0 लोकसभा सांसद, YSR के 4, फिर भी BJP क्यों नहीं कर सकती तकरार? समझिए कहां फंस गया मामला

Rajya Sabha: तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाने वाली बीजेपी के सामने इस बार लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा में भी चुनौती हो सकती है. जिन पार्टियों और नेताओं के खिलाफ उसने खुलकर और आक्रामक प्रचार किया, अब उसे उन्हीं पार्टियों की मदद भी लेनी पड़ सकती है. यही वजह है कि सबकी निगाहें, राज्यसभा में कुल 20 सांसदों वाली बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस की ओर हैं. लोकसभा में भले ही ये पार्टियां कमजोर हो गई हों लेकिन राज्यसभा में अब भी ये निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं.

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Edited By: India Daily Live
BJP
Courtesy: Social Media

इस बार के लोकसभा चुनाव में सबसे बुरा हाल बीजू जनता दल (बीजेडी) का हुआ है. जिस राज्य में 24 साल से बीजेडी ही काबिज है, वहीं उसका खाता नहीं खुला. नतीजा हुआ कि नवीन पटनायक की यह पार्टी लोकसभा में एक भी सांसद नहीं भेज पाई. वहीं, 2019 में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने वाली वाईएसआर कांग्रेस भी बुरी तरह हारी और उसे लोकसभा की सिर्फ 4 सीटों पर जीत मिली. अब इन पार्टियों का अस्तित्व अपने ही राज्य में खतरे में आ गया है. इसके बावजूद, सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) को इनकी जरूरत है. लोकसभा में अकेले बहुमत न ला पाने वाली बीजेपी एनडीए सहयोगियों के भरोसे सत्ता में है. हालांकि, कई मुद्दों पर उसे अन्य दलों की भी जरूरत पड़ने वाली है.

जैसा हाल लोकसभा में बीजेपी का है, कमोबेश वैसा ही हाल अब राज्यसभा में भी हो गया है. पहले कई मौके ऐसे आए हैं जब बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस जैसी पार्टियों ने सत्ता का साथ दिया है. मौजूदा समय में राज्यसभा में 10 पद खाली हैं. एनडीए के पास 117 तो INDIA गठबंधन के पास कुल 80 सांसद हैं. 33 सांसद ऐसे हैं जो इन दोनों ही गठबंधनों का हिस्सा नहीं हैं. बीजेपी के पास अपने कुल 90 राज्यसभा सांसद ही हैं. ऐसे में उसे कोई भी बिल राज्यसभा में पास कराने के लिए दूसरों का मुंह देखना होगा. 

राज्यसभा में कौन है मजबूत?

राज्यसभा में सीटों की संख्या के हिसाब से देखें तो बीजेपी के बाद कांग्रेस 26 सांसदों के साथ दूसरे नंबर पर है. TMC की 13, वाईएसआर की 11 और AAP की संख्या 10 है. वाईएसआर और बीजेडी को मिलाकर कुल 20 सांसद हैं. इतनी संख्या किसी भी कानून की दिशा बदल सकते हैं. ऐसे में बीजेपी भले ही केंद्र में सरकार बनाने में कामयाब रही हो, वह राज्यसभा में दूसरों के ही भरोसे है. उसके पास अपने जो सहयोगी हैं, उनकी संख्या इतनी नहीं है कि वह अपनी मनमानी कर सके. हालांकि, 10 सीटों पर राज्यसभा के चुनाव होने जाने के बाद बीजेपी और मजबूत हो सकती है लेकिन बीजेडी और वाईएसआर को नाराज करके वह रिस्क नहीं लेना चाहेगी.

वाईएसआर कांग्रेस ने दिखाई आंख

बीजेपी को नरमी बरतने की जरूरत क्यों है, इसका उदाहरण जगन मोहन रेड्डी की अगुवाई वाली वाईएसआर कांग्रेस की एक चिट्ठी से देखने को मिला.वाईएसआर कांग्रेस ने राष्ट्र्पति द्रौपदी मुर्मू और पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर आरोप लगाए हैं. इस चिट्ठी में लिखा गया, 'बीजेपी को हमारी शिकायतों पर ध्यान देना होगा. लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर हमारे पास 15 सांसद हैं. यह TDP की संख्या से सिर्फ 1 कम है.' उसने यह भी कहा है वह मुद्दों के हिसाब से सत्ता का समर्थन या विरोध करेगी.

इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बीजेडी के खिलाफ आक्रामक चुनाव प्रचार किया था. हालांकि, मोहन चरण माझी के शपथ ग्रहण में नवीन पटनायक को सम्मानपूर्वक बुलाकर बीजेपी ने यह दिखाने की कोशिश जरूर की है कि वह अपने 'पुराने दोस्त' को नहीं भूली है. इसके उलट यही बात आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पर लागू नहीं होगी. दरअसल, आंध्र प्रदेश में बीजेपी सत्ता पर काबिज हुए चंद्रबाबू नायडू के साथ है. केंद्र में भी वह चंद्रबाबू नायडू के सहारे सरकार चला रही है. ऐसे में उसके लिए नायडू और जगन मोहन रेड्डी दोनों को एकसाथ साध पाना टेढ़ी खीर साबित हो सकती है.

NDA गठबंधन
बीजेपी-90 
जेडीयू-4
असम गण परिषद-1
आरपीआई-1
आरएलडी-1
एनपीपी-1
जेडीएस-1

INDIA गठबंधन
कांग्रेस- 26
टीएमसी-13
AAP-10
डीएमके-10
आरजेडी-5
सीपीएम-5
सपा-4
जेएमएम-3
सीपीआई-2
IUML-1
केरल कांग्रेस-1

अन्य
बीजेडी-9
वाईएसआर-11
बीआरएस-5
AIADMK-4
बसपा-1