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India Daily

तीन युद्धों में हुआ इस्तेमाल, मां-बेटे ने मिलकर बेच डाली इंडियन एयर फोर्स की हवाई पट्टी

यह मामला लगभग 28 साल पुराना है, जो 1997 में हुआ था, लेकिन अब जाकर इसकी जांच और कार्रवाई का रास्ता खुला है. पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद इस मामले में जांच शुरू हुई, जिसके परिणामस्वरूप यह कार्रवाई की गई.

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Edited By: Gyanendra Sharma
Indian Air Force runway
Courtesy: Social Media

पंजाब के फिरोजपुर में एक मां-बेटे की जोड़ी ने धोखाधड़ी की एक बेशर्मी भरी वारदात को अंजाम देते हुए 1997 में राजस्व अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके द्वितीय विश्व युद्ध के समय की एक हवाई पट्टी को कथित तौर पर बेच दिया. हवाई पट्टी को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बेचने के आरोप में प्राथमिकी (FIR) दर्ज की है.

यह मामला लगभग 28 साल पुराना है, जो 1997 में हुआ था, लेकिन अब जाकर इसकी जांच और कार्रवाई का रास्ता खुला है. पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद इस मामले में जांच शुरू हुई, जिसके परिणामस्वरूप यह कार्रवाई की गई.

पुलिस ने ऊषा अंसल और उनके बेटे नवीन चंद के खिलाफ यह मामला दर्ज किया है. आरोप है कि मां-बेटे की जोड़ी ने 1997 में फिरोजपुर में स्थित भारतीय वायुसेना की एक महत्वपूर्ण हवाई पट्टी को फर्जी दस्तावेजों के जरिए बेच दिया. इस सौदे में राजस्व विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत होने की भी बात सामने आई है, जिनके सहयोग से इस गैरकानूनी कार्य को अंजाम दिया गया. हवाई पट्टी का उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान और बाद में 1962, 1965, और 1971 के भारत-पाक युद्धों में भारतीय वायुसेना द्वारा किया गया था.

हवाई पट्टी का ऐतिहासिक महत्व

फिरोजपुर में स्थित यह हवाई पट्टी न केवल ऐतिहासिक बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस हवाई पट्टी का निर्माण किया गया था, और यह भारतीय वायुसेना के लिए कई महत्वपूर्ण युद्धों में रणनीतिक आधार रही. 1962 के भारत-चीन युद्ध, 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों में इस हवाई पट्टी ने वायुसेना के अभियानों में महत्वपूर्ण योगदान दिया था.