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खबरदार जो EVM पर उठाए सवाल, VVPAT पर सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया फैसला, राहत में चुनाव आयोग

सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर की मांग को लेकर बड़ा कदम उठाया है. सुप्रीम कोर्ट में दायर सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं.

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Courtesy: India Daily

सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रायल (VVPAT) स्लिप के वोटिंग के बाद 100 फीसदी मिलान को लेकर अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 45 दिनों तक VVPAT की पर्टी सुरक्षित रहेगी लेकिन 100 फीसदी मिलान नहीं कराया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ VVPAT से मतदान की याचिका खारिज कर दी है. VVPAT पर सवाल उठाने वाली सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने 18 अप्रैल की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. 26 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुना दिया. कोर्ट  ने 24 अप्रैल को चुनाव आयोग (ECI) से कुछ मुद्दों पर जवाब मांगा था. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुना दिया है. इससे जुड़ी सभी याचिकाएं खारिज हो गई हैं.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बेंच ने चुनाव आयोग के अधिकारियों से सवाल पूछे थे. ईवीएम और VVPATs कैसे काम करता है, इसकी प्रक्रिया क्या है, इसे लेकर कई सवाल भी पूछे गए. चुनाव आयोग ने कहा था कि किसी भी तरह से ईवीएम को हैक नहीं किया जा सकता है. चुनावों में पड़े सभी वोट का VVPAT से मिलान कर पाना व्यवहारिक तौर पर संभव नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या सुनाया है फैसला?

- जस्टिस खन्ना ने केस पर फैसला सुनाते हुए कहा, 'EVM बनाने वालों की टीम, ईवीएम की सेमीकंट्रोलर की मेमेरी, कंट्रोल यूनिट कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट और VVPAT, की जांच करेंगे, उसे वेरिफाई करेंगे. अगर चुनाव के फैसले पर आपत्ति है तो इसे लिखिद आवेदन पर उम्मीदवार 2 और 3 जांच करा सकते हैं. ऐसी मांग नतीजों के 7 दिनों के भीतर की जानी चाहिए. इसमें आने वाले खर्च का वहन उम्मीदवार को कहना होगा. अगर ईवीएम में गलती निकलती है तो सभी खर्चे वापस कर दिए जाएंगे.'

- जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, 'सिंबल लोडिंग यूनिट कंटेनर्स में सील्ड और सुरक्षित रखे जाएंगे. इस सील पर उम्मीदवार और उनके प्रतिनिधि का हस्ताक्षर होगा. इन्हें ईवीएम के साथ स्टोर रूम में रखा जाएगा. नतीजे घोषित होने के बाद कम से कम 45 दिनों तक इन्हें रखा जाना अनिवार्य होगा.'

- जस्टिस संजीव खन्ना ने चुनवा आयोग से कहा कि हर पार्टी का एक बार कोड और चुनाव चिह्न होना चाहिए. जस्टिस दत्ता ने फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी भी संस्था पर आंख मूंदकर अविश्वास करना, आशंकाएं पैदा कर सकता है.

इस फैसले का चुनाव आयोग पर क्या होगा असर?
अब VVPAT को लेकर दोबारा बहस नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब इसका 100 फीसदी मिलान करने का दबाव चुनाव आयोग पर नहीं पड़ेगा. चुनाव आयोग ने खुद कहा है कि भारत जैसे बड़ी जनसंख्या वाले देश में यह संभव नहीं है कि इतने बड़े स्तर पर वीवीपीएटी और ईवीएम में पड़े वोटों का 100 फीसदी मिलान हो. भारत में ईवीएम भरोसेमंद है और इस प्रणाली को दुनिया अपनाती है. इसे हैक नहीं किया जा सकता है.

क्या है VVPAT?
वोटरर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रायल (VVPAT) एक ऐसा सिस्टम है जिसकी मदद से ईवीएम में आपने किसे वोट दिया है, इसकी पर्ची आप देख सकते हैं. आप अपने वोट को क्रॉस चेक इस सिस्टम के जरिए कर सकते हैं.  इसमें उम्मीदवार का नाम और पार्टी का सिंबल आपको VVPAT मशीन में नजर आ जाती है. इसे हम सेकेंड लाइन वेरिफिकेशन भी कह सकते हैं. जब आप वोट करते हैं, तब इसकी पर्ची सील्ड बॉक्स में गिर जाती है. यह स्लिप आपको सिर्फ 7 सेकेंड तक दिखती है. इसे किसी भी शंका की स्थिति में चुनाव अधिकारी चेक कर सकता है.

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