बढ़ता तापमान जिओ, एयरटेल, वीआई जैसी टेलीकॉम कंपनियों के लिए मुसीबत का कारण बन सकता है. तापमान बढ़ने के कारण अब इन कंपनियों के लिए टेलीकॉम टावर लगाना महंगा हो जाएगा. दरअसल जब कहीं टेलीकॉम टावर लगाया जाता है तो उसकी मशीनरी को ठंडा रखने के लिए एयर कंडीशनर लगाए जाते हैं.तापमान बढ़ने से मशीनरी को ठंडा रखने के लिए लंबे समय तक और ज्यादा कूलिंग के साथ एसी चलाने होंगे जिससे ऊर्जा की ज्यादा खपत होगी.
बता दें कि चौबीसों घंटे मोबाइल कनेक्टिविटी चालू रखने के लिए टेलीकॉम टावर लगाए जाते हैं. ये टावर बेस स्टेशनों के बाधारहित संचालन के लिए महत्वपूर्ण हैं.
क्या कह रहे एक्सपर्ट्स
टेलीकॉम इंडस्ट्री से जुए एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर हीटवेव (लू) की स्थिति अगले महीने तक बनी रहती है तो टेलीकॉम टावरों को सुचारू रूप से चलाने के लिए टेलीकॉम ऑपरेटरों जैसे जियो, एयरटेल,वोडाफोन आइडिया के लिए बिजली और ईंधन का खर्चा बढ़ सकता है. आम तौर पर टावर कंपनियां ईंधन की कीमतों में किसी भी बदलाव का बोझ सीधे टेलीकॉम कंपनियों पर डालती हैं.
3-5% तक बढ़ सकता है टेलीकॉम कंपनियों का खर्चा
एक एक्सपर्ट ने बताया कि टेलीकॉम टावर के बुनियादी ढांचे को सक्रिय रखने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को प्रभावी एयर कूलिंग तंत्र की जरूरत होती है और बढ़ते तापमान के कारण कंपनियों का एसी चलाने के लिए बिजली और ईंधन का खर्च लगभग 3-5% तक बढ़ सकता है.
डीजल के दाम बढ़े तो और बढ़ेगी परेशानी
टेलीकॉम टावर को संचालित करने के लिए टेलीकॉम कंपनियां सालाना आधार पर जितना खर्च करती हैं, उसका 45 से 55 प्रतिशत हिस्सा केवल बिजली और ईंधन पर खर्च होता है. पूरे खर्चे का एक तिहाई खर्चा केवल डीजल पर होता है. डीजल के अलावा कंपनियां बिजली और बैटरी पर खर्चा करती हैं.
विशेषज्ञों का दावा है कि अगर चुनाव के बाद तेल कंपनियां डीजल के दाम बढ़ाती हैं तो टेलीकॉम कंपनियों के लिए और मुसीबत खड़ी हो सकती है. इससे उनके मार्जिन पर फर्क पड़ेगा. हालांकि इसका सीधा असर मोबाइल यूजर्स पर होगा, क्योंकि टेलीकॉम कंपनियां अपना खर्चा जनता से ही वसूलेंगी.