Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की वापसी होती नजर आ रही है. सूबे में पिछले 25 सालों से चला आ रहा रिवाज इस बार भी नहीं बदला और अब बीजेपी सत्ता के शीर्ष पर नजर आ रही है. फिलहाल जो रुझान सामने आ रहे हैं उसमें बीजेपी आगे दिख रही है और पार्टी को बहुमत मिल गया है. राजस्थान में इस बार 200 में से 199 सीटों के लिए मतदान हुआ था. इस लिहाज से बहुमत के लिए 100 सीटों की जरूरत है. कांग्रेस इस जादुई आंकड़े से काफी पीछे रह गई है और साफ नजर आ रहा है कि अशोक गहलोत का जादू फेल हो गया.
राजस्थान के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पीएम नरेंद्र मोदी का चेहरा आगे रखा. बीजेपी ने पीएम के चेहरे पर चुनाव लड़ा और सीएम के नाम का ऐलान नहीं किया. राज्य में खुद पीएम मोदी ने 15 रैलियां की साथ ही बीकानेर और जयपुर में रोड शो भी किया. पीएम मोदी ने प्रचार के दौरान कांग्रेस सरकार को तमाम मुद्दों पर घेरा.
राजस्थान चुनाव में बीजेपी ने कन्हैयालाल हत्याकांड का भी मुद्दा जोर शोर से उठाया. बीजेपी ने कांग्रेस पर तुष्टीकरण का आरोप लगाया. खुद पीएमर मोदी ने अपनी एक रैली के दौरान कन्हैयालाल की हत्या का जिक्र किया था और कहा था कि कांग्रेस राजस्थान की परंपरा को खतरे में डाल रही है. कांग्रेस के सुशासन में कैमरे के सामने जो हुआ वो कोई सोच भी नहीं सकता था, वो हत्या कांग्रेस सरकार पर बहुत बड़ा दाग है. पीएम मोदी के अलावा खुद गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी रैलियों में कन्हैया हत्याकांड का जिक्र कई बार किया.
राजस्थान में बीजेपी ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया. 2018 के चुनाव में बीजेपी ने टोंक से सचिन पायलट के खिलाफ युनूस खान को मैदान में उतारा था, लेकिन इस बार उनका टिकट काट दिया. यहां तक कि बीजेपी ने तीन मुस्लिम बहुल सीटों पर संतों को मैदान में उतारा. जयपुर की हवा महल सीट से संत बाल मुकुंद आचार्य को टिकट दिया, वहीं अलवर की तिजारा सीट से बाबा बालकनाथ पर दांव खेला, बालकनाथ खुद को राजस्थान का योगी बताते हैं यहां तक कि उनके लिए प्रचार करने खुद सीएम योगी तिजारा पहुंचे थे. पार्टी ने पोखरण सीट से महंत प्रतापपुरी को टिकट दिया.
चुनाव में बीजेपी ने लाल डायरी को भी बड़ा मुद्दा बनाया. खुद पीएम मोदी ने अपनी चुनावी सभाओं में कांग्रेस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए लाल डायरी का जिक्र किया था. जुलाई के महीने में अशोक गहलोत सरकार के बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा लाल डायरी लेकर विधानसभा में पहुंचे थे और उन्होंने गहलोत सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए थे. जिसके बाद बीजेपी के हाथ एक बड़ा मुद्दा लग गया और चुनाव में इसका असर भी दिखा.
पेपर लीक का मुद्दा भी राजस्थान सरकार के लिए गले की फांस बना. मामले में खुद सचिन पायलट ने भी चुनाव से पहले अपनी ही सरकार को घेरते हुए जांच की मांग कर डाली थी. बीजेपी ने इस मुद्दे को चुनाव में खूब उछाला और सरकार को कटघरे में खड़ा किया.
1998 यानी पिछले 25 सालों में राजस्थान का यही रिवाज रहा है कि हर चुनाव में सत्ता बदलती है, इतने सालों में यहां 2 ही मुख्यमंत्री रहे, कांग्रेस से अशोक गहलोत और बीजेपी से वसुंधरा राजे ये दोनों बारी-बारी से सीएम पद पर रहे हैं.