भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव के बीच, पूर्व अमेरिकी एनएसए जॉन बोल्टन ने ट्रंप प्रशासन की नीतियों की कड़ी आलोचना की है. उनका कहना है कि भारत पर लगाए गए 50% तक के शुल्क, जिसमें रूसी तेल खरीद पर 25% अतिरिक्त पेनल्टी भी शामिल है, दोनों देशों के रिश्तों को कमजोर कर रहे हैं. बोल्टन का तंज ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान ने ट्रंप को 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने की घोषणा की है.
बोल्टन ने कहा कि ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए शुल्क ‘गलत’ और ‘नुकसानदायक’ हैं. उनका मानना है कि भारत को यूक्रेन युद्ध रोकने के अमेरिकी प्रयास में बलि का बकरा बनाया जा रहा है. ट्रंप का आरोप है कि भारत बड़ी मात्रा में रूसी तेल खरीद रहा है और फिर उसे खुले बाजार में बेचकर मुनाफा कमा रहा है, जबकि यूक्रेन में रूस की युद्ध मशीन लोगों की जान ले रही है.
पूर्व एनएसए ने यह भी इंगित किया कि चीन भी रूसी तेल खरीद रहा है, लेकिन बीजिंग पर न तो ऐसे शुल्क लगाए गए हैं और न ही कोई द्वितीयक प्रतिबंध. उन्होंने कहा, “भारत ही एकमात्र सरकार है जिसे ट्रंप के यूक्रेन युद्ध में युद्धविराम लाने के प्रयास के तहत इस तरह की कार्रवाई का सामना करना पड़ा है.” यह नीति भारत-अमेरिका भरोसे पर सीधा प्रहार है.
ट्रंप ने अपनी आगामी रूसी राष्ट्रपति पुतिन से अलास्का में होने वाली बैठक को लेकर मीडिया की आलोचना का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि मीडिया उनकी उपलब्धियों को नजरअंदाज करेगा, चाहे वह रूस से “मॉस्को और लेनिनग्राद फ्री” ही क्यों न करा लें. ट्रंप ने अपने पूर्व सहयोगी बोल्टन को “मूर्ख” करार दिया, जिन्होंने इस बैठक को पुतिन की “बड़ी जीत” बताया था.
एनडीटीवी से बातचीत में बोल्टन ने कहा कि भारत पर इस तरह का व्यवहार एक बड़ी गलती है और भरोसा बहाल करने में लंबा समय लगेगा. उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, “मेरी पीएम मोदी को सलाह है कि वे ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए दो बार नामित करें.” यह टिप्पणी तब आई जब पाकिस्तान ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह भारत-पाक संघर्ष में ‘निर्णायक कूटनीतिक हस्तक्षेप’ के लिए ट्रंप को 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए औपचारिक रूप से सिफारिश करेगा.