Pakistani Refugee On CAA: भगवान राम को घर लौटने में 500 साल लग गए. उस दिन हिंदुओं को कैसा लगा? उस दिन आपको कैसा लगा? सोमवार को भी हमें ऐसा ही महसूस हुआ. वैसी ही महसूस हुआ, जैसा 22 जनवरी को सभी हिंदू भाइयों को महसूस हुआ था, जिस दिन अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर का उद्घाटन किया गया था. ये बातें पाकिस्तान से भारत में आकर रह रहे एक हिंदू शरणार्थी ने कही. पाकिस्तान की सीमा से करीब 500 किलोमीटर दूर जोधपुर में रह रहे देहराज भील ये बातें कहते हुए इमोशनल हो गए.
देहराज भील ने कहा कि आप भावनाओं को नहीं समझेंगे. बुधवार को न्यूज18 से बात करते हुए कहा कि CAA लागू हुए 48 घंटे से ज्यादा का समय गुजर चुका है, लेकिन हमारा जश्न नहीं खत्म हुआ है. उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) अब एक वास्तविकता है. उन्होंने कहा कि 2013 से पहले ये उनके लिए उतना आसान नहीं था, जब वे वापस न लौटने के दृढ़ इरादे के साथ तीर्थयात्री वीजा पर पाकिस्तान के सिंह प्रांत से भारत आए थे.
मंगलवार रात 10 बजे तक देवराज भील मिठाई बांटने में व्यस्त दिखे. दरअसल, राजस्थान का एक NGO है, जिसका नाम 'सेना न्याय उत्थान' है. ये NGO पाकिस्तान से भागे उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के पुनर्वास पर काम करता है. देवराज भील, उसका परिवार और उसके जैसे कई लोगों के लिए NGO लगातार काम कर रहा है. देवराज और उनके जैसे कई परिवार, 11 मार्च को CAA के लागू होने के बाद भारतीय नागरिकता के लिए पात्र होंगे. CAA की बदौलत अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान से हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई, जो धार्मिक उत्पीड़न के डर से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए हैं, आसानी से भारतीय नागरिक बन सकेंगे.
देवराज भील ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की स्थिति पर बात करते हुए कहा कि मेरे जन्म से पहले ही मेर परिवार पर उत्पीड़न का दौर शुरू हो गया था. देवराज ने कहा कि ये वो दौर था, जब 1971 के जंग में भारत ने पाकिस्तान को धूल चटाई थी. देवराज ने बताया कि उनके पिता एक बनिया परिवार की संपत्ति के देखभालकर्ता हुआ करते थे, जो बनिया परिवार के कैंपस में ही एक झोपड़ी बनाकर रहते थे.
देवराज ने कहा कि 1971 के युद्ध के बाद पाकिस्तान में हिंदुओं पर आक्रमण बढ़ गया. मैंने सुना है कि मेरे पिता से बनिए ने अनुरोध किया था कि वे जमीन मुफ्त में ले लें और उसकी देखभाल करें, जबकि वह और उनका परिवार भारत चले आए और यहीं आकर बस गए. उन्होंने हिंदुओं के उत्पीड़न की कहानी बताते हुए कहा कि जिस ज़मीन की देखभाल मेरे पिता करते थे, उस जमीन का मालिक होना कल्पना से परे थे.
देवराज ने कहा कि पिता ने विनम्रता से जमीन का मालिक बनने से इनकार कर दिया. इसके बाद बनिया का परिवार पड़ोस में रहने वाले मुस्लिम परिवार के पास पहुंचे. कुछदिनों तक सब ठीक चला. बाद में सौदे के तहत बनिए ने जमीन बेच दी, जिसके बाद वहां रह रहे भील परिवारों को जगह खाली करने के लिए बोल दिया गया. हालांकि, अदालत का दरवाज़ा खटखटाने से उनके पक्ष में नतीजे आए, लेकिन कुछ समय बाद मेरे एक भाई की हत्या कर दी गई.
जोधपुर में रह रहे शरणार्थी ने बताया कि 2011 में मेरे भाई की हत्या की गई. वो पेशे से टैक्सी ड्राइवर था. वारदात वाले दिन मेरा भाई सुबह चार बजे 4-5 सवारियों को लेकर घर से करीब 30 किलोमीटर दूर गया. वहां जब उसने किराया मांगा, तो टैक्सी में बैठे सवारियों ने उसकी हत्या कर दी. भाई की हत्या के बाद मैंने पाकिस्तान के कानून व्यवस्था पर भरोसा रखा और स्थानीय सांसद से संपर्क करते हुए न्याय की मांग की.
देवराज ने बताया कि जब मैं पुलिस के पास गया तो उन्होंने पल्ला झाड़ लिया. इसके बाद सांसद ने भी राजनीतिक मजबूरी बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया. 46 साल के देवराज ने कहा कि उस दिन हमलोगों को एहसास हुआ कि अब पाकिस्तान में एक दिन भी नहीं रहा जा सकता है. देवराज ने बताया कि इसके बाद हम सभी तीर्थयात्री वीजा पर भारत आ गए. यहां आने के बाद मैंने अपनी पत्नी और घर की महिलाओं के गहने बेच दिए, ताकि नई शुरुआत की जा सके.
2022 में, फ्रीडम हाउस ने पाकिस्तान की धार्मिक स्वतंत्रता को 4 में से 1 खराब रेटिंग दी, इस बात पर जोर दिया कि कैसे विवादास्पद ईशनिंदा कानूनों का अक्सर धार्मिक निगरानीकर्ताओं की ओऱ से हिंदुओं, ईसाइयों, सिखों और यहां तक कि अहमदियाओं का शोषण किया जाता है. अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाएं, विशेषकर हिंदू, जबरन धर्मांतरण और विवाह का निशाना बनती रही हैं. पाकिस्तान में हिंदू महिलाओं का जबरन धर्म परिवर्तन, बलात्कार और जबरन विवाह अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बन रहा है.
2019 में 16 साल की अनुषा कुमारी का अपहरण, उसी वर्ष हिंदू बहनों रीना और रवीना का जबरन धर्म परिवर्तन और 2014 में सिंध से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की छात्रा ज्योति कुमारी का अपहरण हिंदू उत्पीड़न के कई उदाहरण हैं. जुलाई 2010 में, कराची में 150 निवासियों की ओर से लगभग 60 हिंदुओं पर हमला किया गया और जातीय रूप से उनका सफाया कर दिया गया, जिससे संयुक्त राष्ट्र को भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
देवराज भील ने कहा कि पाकिस्तान पर किसी पर कोई भरोसा नहीं था. शाम 6 बजे के बाद कोई भी हिंदू बाइक नहीं चला सकता था. अगर कोई हिंदू दुकान लगाकर कुछ बेच रहा है, तो ज्यादातर लोग भुगतान करने से इनकार कर देते हैं.