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Citizenship Amendment Act: इस्लामिक या गैर इस्लामिक! जानें CAA पर क्या कहता है कुरान

Citizenship Amendment Act: केंद्र सरकार की ओर से नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का नोटिफिकेशन जारी किया गया है. इसको लेकर देश के एक खास वर्ग में भ्रम की स्थिति है. इसको लेकर बुद्धिजीवियों द्वारा अपने सुझाव दिए जा रहे हैं.

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Citizenship Amendment Act: साल 2019 में भारत में पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) विशेष रूप से भारतीय मुसलमानों के बीच बहस का मुद्दा बन रहा है, जो इसे अपने समुदाय के प्रति संभावित भेदभावपूर्ण मानते हैं. कोई भी व्‍यक्ति इससे जुड़े बड़े पैमाने पर विरोध (संबंधित हिंसा) को नहीं भूल पाया है, जो इस बात को महत्‍वपूर्ण बनाता है क‍ि इस गलत धारणा को दूर क‍िया जाए. ऐसे में इस्‍लाम की आयतों में अल्‍लाह ने जो लिखा है वो और पैगंबर मुहम्‍मद (उन पर शांति) द्वारा जो समझाया गया है वो जानना बेहद जरूरी है.

इस्लाम, एक धर्म के रूप में अल्‍लाह और अपने मुल्क दोनों के प्रति वफादार रहने के महत्व पर जोर देता है. कुरान सिखाता है कि मुसलमानों को सत्ता में बैठे लोगों का पालन करना चाहिए. जैसा कि सूरह एन-निसा (4:60) में कहा गया है, 'आप जो विश्वास करते हैं, अल्‍लाह की आदेश मानते हैं, पैगंबर का पालन करते हैं, और सत्ता में बैठे लोगों का पालन करते हैं'. यह आयत मुसलमानों को उस भूमि के कानूनों और अधिकारियों का सम्मान करने और उनका पालन करने के लिए एक अनुस्मारक के रूप में काम करती है, जिसमें वे रहते हैं. पैगंबर मुहम्मद ने अपने राष्ट्र के लिए प्रेम के महत्व पर यह सिखाते हुए जोर दिया कि वास्तविक देशभक्ति विश्वास का एक मौलिक पहलू है. 

क्या कहता है इस्लाम?

पैगम्बर ने कहा, 'अपने राष्ट्र के लिए प्यार आपकी आस्था का एक हिस्सा है'. यह शिक्षा दर्शाती है कि एक मुसलमान का अपने अल्‍लाह के प्रति प्रेम और राष्ट्र के प्रति उसकी प्रतिबद्धता परस्पर विरोधी अवधारणाएं नहीं हैं, बल्कि उसके विश्वास की पूरक अभिव्यक्तियां हैं. इस्लाम मुसलमानों को शांति को बढ़ावा देने और समाज की बेहतरी के लिए सक्रिय रूप से योगदान करने के लिए प्रोत्साहित करता है. इस्लाम के लिए सच्चा प्यार अपने देश के प्रति वफादारी, सम्मान और भक्ति की भावना को द‍िखाता है. मुसलमानों को अपने कार्यों में न्याय और निष्पक्षता के सिद्धांतों को बनाए रखते हुए जिम्मेदार और कानून का पालन करने वाले नागरिक बनने के लिए कहा जाता है. 

क्या सिखाता है इस्लाम?

यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है कि इस्लाम कानून को अपने हाथों में लेने या अपने राष्ट्र के खिलाफ किसी भी योजना या साजिश में शामिल होने की सख्ती से मना करता है. धर्म शांति, न्याय और कानून के शासन की वकालत करता है. किसी भी शिकायत या चिंता का समाधान देश के कानूनों और संस्थानों के ढांचे के भीतर कानूनी और शांतिपूर्ण तरीकों से किया जाना चाहिए. इस्लाम सिखाता है कि व्यक्तियों को कानून का पालन करने वाले नागरिक बनने का प्रयास करना चाहिए. अपने समाज में सद्भाव और सकारात्मक सोच को बढ़ावा देना चाहिए. इस समझ के आलोक में भारतीय मुसलमानों के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि सीएए को उनके समुदाय के खिलाफ कानून के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.

भारतीय मुसलमानों को प्रभावित नहीं करेगा ये कानून

इस कानून का उद्देश्य भारतीय मुसलमानों की स्थिति या अधिकारों को प्रभावित किए बिना पड़ोसी देशों में उत्पीड़न का सामना कर रहे धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए भारतीय नागरिकता का मार्ग प्रदान करना है. इस्लाम की शिक्षाओं को अपनाकर, भारतीय मुसलमान अपने राष्ट्र के प्रति निष्ठा के महत्व की सराहना कर सकते हैं. एक सामंजस्यपूर्ण और समावेशी समाज को बढ़ावा देने में सक्रिय रूप से भाग ले सकते हैं.

राष्ट्र के निर्माण में सक्रिय योगदान दे सकते हैं मुसलमान

भारतीय मुसलमानों के लिए यह समझना जरूरी है कि सीएए का उद्देश्य उनके समुदाय को निशाना बनाना नहीं है, बल्कि प्रताड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों की मदद के लिए एक कानूनी ढांचा देना है. गलत धारणाओं को दूर करके और इस्लाम की शिक्षाओं को अपनाकर, भारतीय मुसलमान देश के प्रति निष्ठा की गहरी भावना पैदा कर सकते हैं. न्याय, शांति और कानून के शासन के सिद्धांतों को बनाए रखते हुए अपने देश की प्रगति, एकता और कल्याण में सक्रिय रूप से योगदान कर सकते हैं. बातचीत, समझ और सहयोग से भारतीय मुसलमान एक सौहार्दपूर्ण समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, जो समावेशिता, धार्मिक स्वतंत्रता और अपने सभी नागरिकों के लिए समान व्यवहार के मूल्यों को बनाए रखता है.

ये विचार इंशा वारसी, फ्रैंकोफोन एंड जर्नलिज्म स्टडीज, जामिया मिलिया इस्लामिया के व्यक्तिगत हैं.