गाजियाबाद में एक बार फिर तेज रफ्तार का कहर देखने को मिला, जब एक थार कार ने महिला को टक्कर मार दी. यह भयावह हादसा सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया और देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
वीडियो में साफ दिखाई देता है कि किस तरह महिला सड़क पर चल रही थी और अचानक तेज रफ्तार थार ने उसे अपनी चपेट में ले लिया. हादसे की गंभीरता इतनी ज्यादा थी कि महिला हवा में उछलकर दूर जा गिरी.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही फुटेज में देखा जा सकता है कि पारुल गुप्ता नाम की महिला सड़क पर सामान्य तरीके से चल रही थीं. तभी अचानक सामने से तेज रफ्तार में आ रही थार ने उन्हें टक्कर मार दी. टक्कर इतनी जोरदार थी कि महिला कार से टकराने के बाद उछलकर कई मीटर दूर जा गिरीं. यह दृश्य वहां मौजूद लोगों के लिए बेहद भयावह था.
Another day, another Thar driver. Same horrific story.
— Piyush Rai (@Benarasiyaa) September 18, 2025
Visuals from Ghaziabad in UP. pic.twitter.com/70uBfAS8sz
घटना के बाद पुलिस ने जब मामले की जांच शुरू की तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई. रिपोर्ट्स के मुताबिक पीड़िता पारुल गुप्ता ने ड्राइवर के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई करने से इनकार कर दिया. सिहानी गेट थाने की पुलिस का कहना है कि महिला न तो शिकायत दर्ज करना चाहती हैं और न ही जांच में सहयोग देने को तैयार हैं. ऐसे में यह मामला फिलहाल ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है.
यह कोई पहला मामला नहीं है जब तेज रफ्तार थार कार हादसे का कारण बनी हो. आए दिन इस तरह की घटनाएं सामने आती रहती हैं, जिनमें लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं या अपनी जान गंवा बैठते हैं. सवाल यह उठता है कि आखिर सड़क पर रफ्तार का यह जुनून कब थमेगा.
बुलंदशहर में बड़ा हादसा, आठ की मौत
इससे पहले उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में एक और भीषण सड़क हादसा हुआ था. यहां एक कैंटर ट्रक ने श्रद्धालुओं से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली को पीछे से टक्कर मार दी थी. हादसा अलसुबह करीब 2:10 बजे अर्निया बाईपास के पास हुआ. टक्कर इतनी जोरदार थी कि ट्रॉली पलट गई और उसमें सवार आठ लोगों की मौके पर मौत हो गई, जबकि 43 लोग घायल हो गए थे. जानकारी के मुताबिक, सभी श्रद्धालु कासगंज जिले के रफतपुर गांव से राजस्थान के जहारपीर दरगाह पर जाने के लिए निकले थे.
गाजियाबाद और बुलंदशहर की ये घटनाएं सड़क सुरक्षा पर कई सवाल खड़े करती हैं. जहां एक ओर लापरवाही और तेज रफ्तार लोगों की जान ले रही है, वहीं दूसरी ओर पीड़ितों का शिकायत दर्ज कराने से इनकार करना जांच और न्याय की राह में बड़ी रुकावट बन रहा है.