नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को आईआईएम-कलकत्ता में अपने संबोधन के दौरान वैश्विक राजनीति, व्यापार और बदलते नियमों पर बेबाक राय रखी. उन्होंने कहा कि आज का समय वह है, जहां राजनीति लगातार अर्थशास्त्र से आगे निकल रही है और देशों के बीच रिश्तों का संतुलन तेज़ी से बदल रहा है.
जयशंकर ने चेताया कि अनिश्चित माहौल में भारत को अपने हित सुरक्षित करने के लिए सप्लाई स्रोतों का विविधीकरण, औद्योगिक निर्माण और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों में संतुलन बेहद ज़रूरी है. उन्होंने कहा कि भारत अब निष्क्रिय नहीं, बल्कि सक्रिय वैश्विक कूटनीति के साथ दुनिया में अपनी जगह मज़बूत कर रहा है.
अमेरिका द्वारा भारत से आयात पर 50% तक टैरिफ बढ़ाने पर जयशंकर ने कहा कि वॉशिंगटन अब अपने पुराने रोल से हटकर नए नियम गढ़ रहा है. अमेरिका अब देशों से वन-ऑन-वन आधार पर डील कर रहा है, जिससे व्यापार समीकरण बदल रहे हैं. भारत और अमेरिका दो ट्रैक पर बातचीत कर रहे हैं—पहला टैरिफ विवाद सुलझाने के लिए और दूसरा एक व्यापक व्यापार समझौते के लिए. लक्ष्य है कि 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाकर 500 बिलियन डॉलर किया जाए.
जयशंकर ने कहा कि चीन लंबे समय से अपने बनाए नियमों पर चलता आया है और यही उसकी सबसे बड़ी रणनीतिक ताकत भी है. यही रवैया दुनिया को खंडित परिदृश्य की ओर धकेल रहा है. उन्होंने बताया कि वैश्विक अनिश्चितता के कारण कई देश अब “हेजिंग स्ट्रैटेजी” अपना रहे हैं—यानी स्पष्ट प्रतिस्पर्धा की बजाय समझौते, बैकअप प्लान और संतुलन साधने पर ज़ोर दे रहे हैं, जिससे वैश्विक व्यवस्था और जटिल हो गई है.
जयशंकर ने कहा कि अगर भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनना है, तो मज़बूत औद्योगिक आधार अनिवार्य है. उन्होंने बताया कि सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहन, ड्रोन, बायोसाइंस और एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र भारत की नई औद्योगिक रीढ़ बन सकते हैं. दुनिया का एक तिहाई उत्पादन चीन में केंद्रित है, जिससे सप्लाई चेन का जोखिम और बढ़ जाता है. ऐसे में भारत के लिए अपनी विनिर्माण क्षमता बढ़ाना और वैश्विक उत्पादन का केंद्र बनना अत्यंत महत्वपूर्ण है.
जयशंकर ने कहा कि भारत अब पुराने दौर की ‘रिएक्टिव डिप्लोमेसी’ नहीं, बल्कि ‘प्रोएक्टिव डिप्लोमेसी’ का रास्ता चुन चुका है. उनका कहना था कि विदेश नीति का उद्देश्य भारत की वैश्विक उपस्थिति को बढ़ाना और रणनीतिक हितों की रक्षा करना है. डेटा फ्लो, डिजिटल व्यापार और पेशेवरों की गतिशीलता जैसे मुद्दों पर भारत अब अपने हित स्पष्ट रूप से रख रहा है. उन्होंने कहा कि दुनिया के बदलते संतुलन में भारत अपनी नई पहचान बना रहा है.