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Indians In Russia-Ukraine War: जॉब की तलाश, फिर यूट्यूबर का झांसा; आखिर कैसे भारतीय युवाओं को रूस में जंग के लिए किया मजबूर

Indians In Russia-Ukraine War: यूक्रेन के खिलाफ रूस की ओर से जंग लड़ने के लिए भारतीयों को मजबूर करने वाली कई कहानियां सामने आईं हैं. अब इस पूरे मामले की इनसाइड स्टोरी आई है कि आखिर कैसे भारतीय युवाओं को जॉब का झांसा देकर जंग में उतरने को मजबूर कर दिया गया.

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Indian Youth In Russia-Ukraine War
Courtesy: फोटो क्रेडिट- इंडियन एक्सप्रेस

Indians In Russia-Ukraine War: अगर आप किसी यूट्यूबर के वीडियोज को देखकर बेहतर जॉब के लिए विदेश जाना चाह रहे हैं, तो थोड़ा सतर्क हो जाइए. ये खबर आपके लिए ही है. आपने यूक्रेन के खिलाफ जारी जंग में रूस की ओर से कुछ भारतीय युवाओं को जंग के लिए मजबूर किए जाने की खबर पढ़ी होगी. अब इन भारतीय युवाओं को जंग के लिए मजबूर किए जाने की इनसाइड स्टोरी सामने आई है. 

कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि कश्मीर से लेकर कर्नाटक, गुजरात से लेकर तेलंगाना तक के कई युवा रूस में फंस गए हैं, जिन्हें यूक्रेन के खिलाफ जंग के लिए मजबूर किया जा रहा है. उन्हें सपने तो बेहतर जॉब के दिखाए गए थे, लेकिन अब उन्हें हथियार पकड़ाकर यूक्रेन के सामने खड़ा कर दिया गया है. इन भारतीय युवाओं की जो कहानी सामने आई है, वो थोड़ी हैरान करने वाली है. दावा किया रहा है कि जो भी भारतीय युवा जंग के लिए मजबूर किए जा रहे हैं, वे कुछ महीने पहले तक बेहतर जॉब की तलाश में थे. इस बीच उन्होंने यूट्यूब पर किसी यूट्यूबर का वीडियो देखा और फिर उसके झांसे में फंस गए. 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस में जंग को मजबूर किए जा रहे कुछ भारतीय यूथ्स के परिजन ने पूरी कहानी बताई कि उनके घर का चिराग आखिर कैसे झांसे का शिकार हो गया. पीड़ितों के परिजन ने बताया कि पहले उनके घर के बच्चे को विश्वास दिलाया गया कि वे रूसी सरकारी कार्यालयों में सहायक के रूप में नौकरी के लिए आवेदन कर रहे हैं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं था. रूस जाने के बाद अब उन्हें अपनी जान जोखिम में डालकर यूक्रेन की सेना के सामने खड़ा कर दिया गया है.

डेढ़ लाख तक सैलरी, रूसी नागरिकता के लिए आवेदन का झांसा

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के रहने वाले 30 साल के मोहम्मद अफसान और नारायणपेट जिले के रहने वाले 23 साल के मोहम्मद सुफियान भी रूस में फंसे हैं. दोनों नवंबर और दिसंबर में मॉस्को गए थे. दोनों के परिवार ने बताया कि उनके बेटों को झांसा देकर वहां ले जाया गया है. उन्हें जॉब का झांसा देने वाले एजेंट ने कहा कि उन्हें मॉस्को में ही काम करना होगा. अब जब दोनों मॉस्को पहुंच गए हैं, तो उन्हें जंग में झोंक दिया गया है. अफसान और सुफियान के वहां पहुंचते ही पहले 15 दिन की ट्रेनिंग दी गई और फिर यूक्रेन के खिलाफ जंग में उतार दिया गया. 

30 साल का मोहम्मद अफसान के भाई मोहम्मद इमरान ने बताया कि उसका भाई 9 नवंबर को रूस के लिए रवाना हुआ था. अफसान एक कपड़े के शोरूम में सेल्समैन के रूप में काम कर रहा था. इसी दौरान उसने यूट्यूब पर एक यूट्यूबर का वीडियो देखा. जिसमें मॉस्को में बेहतर जॉब का भरोसा दिया गया था. अफसान को शुरुआती तीन महीनों के लिए हर महीने 45,000 रुपये की सैलरी का वादा किया गया था, जो धीरे-धीरे बढ़कर डेढ़ लाख रुपये तक होने का झांसा दिया गया. ये भी कहा गया कि एक साल तक काम करने के बाद वे रूसी पासपोर्ट और नागरिकता के लिए भी आवेदन कर सकते हैं. ये सब पूरी तरह से झूठा वादा निकला. 

अफसान ने रूस-यूक्रेन सीमा से आखिरी वीडियो कॉल 31 दिसंबर को की थी. उसके बाद, उससे कोई संपर्क नहीं हुआ है. इमरान ने बताया कि हमें हाल ही में पता चला कि उसके पैर में चोट लग गई है. हम केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने और उनकी निकासी की व्यवस्था करने का अनुरोध करते हैं.

डेढ़ लाख रुपए एजेंट को दिए, 17 दिसंबर को मॉस्को रवाना हुआ सुफियान

23 साल के सुफियान के भाई सलमान ने बताया कि वो दुबई में एक पैकिंग कंपनी में काम करता था और हर महीने 30,000 रुपये कमाता था. सलमान ने कहा कि सुफियान फैसल खान नाम के एक एजेंट के चक्कर में आया, जो एक 'बाबा व्लॉग्स' नाम का यूट्यूब चैनल चलाता है. फैसल खान ने ही मेरे भाई सुफियान को मॉस्को में नौकरी के लिए अप्लाई करने के लिए प्रेरित किया था. उसने झांसा दिया था कि अगर वो दुबई में ही काम करता रहेगा, तो 30 हजार से ज्यादा नहीं कमा पाएगा. 

सलमान ने बताया कि उसके भाई को कहा गया था कि उसे रूस के सरकारी कार्यालय में काम करना होगा. उसे हर महीने 1 लाख रुपये से अधिक सैलरी मिलेगी और एक साल के बाद नागरिकता देने का वादा किया गया था. सलमान ने बताया कि उसके भाई ने फैसल खान नाम के एजेंट को कमीशन के तौर पर 1.5 लाख रुपये दिए और दुबई से भारत आ गया. फैसल खान नाम के एजेंट ने फ्लाइट टिकट की व्यवस्था की और सुफियान 17 दिसंबर को मॉस्को चला गया.

29 फरवरी को आया था सुफियान का आखिरी कॉल, ड्रोन हमले में हुआ था घायल

सलमान ने बताया कि उसके भाई ने मॉस्को जाने के बाद बताया था कि वीडियो कॉल में सुफियान ने कहा कि उसे और भारत के अन्य युवाओं को एक सैन्य शिविर में ले जाया गया और तीन दिनों के बाद ट्रेनिंग के लिए भेज दिया गया. जब वो ट्रेनिंग कैंप में पहुंचा तो अन्य भारतीय युवाओं को देखा. इनमें से कुछ युवाओं को गोलियां लगी थी, जबकि कुछ को भयानक चोटें आई थीं. 27 फरवरी को एक ड्रोन हमले में सुफियान गंभीर रूप से घायल गया. इस हमले में कई रूसी सैनिकों समेत साथ गुजरात का हेमिल मंगुकिया भी मारा गया. सलमान ने बताया कि ड्रोन हमले के बाद सुफियान ने हमें आपबीती बताने के लिए 29 फरवरी को फोन किया. इसके बाद उसकी अब तक कोई कॉल नहीं आई है.

कर्नाटक के भी तीन लड़के रूस में यूक्रेन से जंग को मजबूर

कर्नाटक के गुलबर्गा के भी तीन युवा रूस में फंसे हुए हैं. तीनों की पहचान 23 साल के मोहम्मद समीर अहमद, 22 साल के सैय्यद इलियास हुसैनी और 23 साल के अब्दुल नईम के रूप में की गई है. ये सभी दुबई की कंपनी में सुफियान के साथ काम कर रहे थे. समीर अहमद के बड़े भाई मुस्तफा ने कहा कि एजेंट ने वादा किया था कि मॉस्को में जॉब मिलेगी. एजेंट ने किसी तरह की चिंता न करने को कहा था और वादा किया था कि ये सब झूठी बातें हैं कि किसी भी भारतीयों को यूक्रेन के खिलाफ जंग में भेजा जा रहा है. 

मुस्तफा ने बताया कि जब मेरा भाई समीर वहां पहुंचा, तो पता चला कि हमें जंग के मैदान में रूसी सैनिकों की मदद करनी होगी. मुस्तफा ने बताया कि चार-पांच दिन पहले समीर ने फोन किया था, तो वो बेहद डरा था. उसने मुझसे उसे सुरक्षित निकालने के लिए यहां अधिकारियों से संपर्क करने को कहा. मुस्तफा ने कहा कि मैं और मेरा पूरा परिवार बेहद तनाव में है. हम लोगों ने हाल ही में ड्रोन हमले में एक भारतीय की मौत की खबर सुनी थी. केंद्र सरकार को भारतीयों को बचाने के लिए वो सब करना चाहिए, जो वे कर सकते हैं. हमें पैसे नहीं चाहिए, बस उन्हें वापस लाया जाए.

सूरत के हेमिल मंगुकिया को भी यूट्यूबर ने बनाया था झांसे का शिकार

सूरत के 23 साल के हेमिल मंगुकिया की 21 फरवरी को मौत हो गई थी. वो भी अन्य भारतीयों की तरह 'बाबा व्लॉग्स' नाम के यूट्यूबर चैनल से झांसे में आया था. हेमिल के परिवार के अनुसार, उसे 24 दिसंबर से ड्यूटी पर रखा गया था. उसका काम दिन में कुछ घंटों के लिए मिट्टी खोदना और बंकर बनाना था. हालांकि बाद में उसे रूसी सैनिकों को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति करने की जिम्मेदारी सौंप दी गई. हेमिल को मशीन गन और अन्य हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी दी गई थी. इससे पहले हेमिल को एक कैंप में एक महीने की ट्रेनिंग दी गई थी.

अवंतीपोरा का यूसुफ अक्सर सोशल मीडिया के जरिए सर्च करता था जॉब

साउथ कश्मीर के अवंतीपोरा का रहने वाला 32 साल का आज़ाद यूसुफ कुमार अक्सर सोशल मीडिया के जरिए जॉब सर्च करता था. वो अक्सर कश्मीर से बाहर जाने की सोचता था, क्योंकि उसके परिवार का पुश्तैनी काम बोरवेल खोदना था, जिसमें अच्छा पैसा नहीं मिल रहा था. जॉब सर्च करने के दौरान उसे दुबई में नौकरी दिलाने का वादा करने वाला एक यूट्यूब चैनल मिला. आजाद यूसुफ कुमार के भाई सज्जाद ने कहा कि बोरवेल खोदना आय का एक अनियमित स्रोत है. आजाद की तीन साल पहले शादी हुई थी और वह बेहतर नौकरी चाहता था. 

सज्जाद के मुताबिक, 'दुबई-ब्रॉड' नाम का यूट्यूब चैनल फैसल खान चलाता था. उसने मेरे भाई को बताया गया था कि उसे दुबई में कमरे साफ करने होंगे और रसोई में काम करना होगा. इसके बदले उसकी अच्छी कमाई हो जाएगी. फैसल खान अपने यूट्यूब चैनल के जरिए अक्सर गल्फ कंट्री में जॉब का वादा करता था. एक वीडियो में, फैसल खान को कहते हुए सुना जा सकता है कि मैंने छठी तक पढ़ाई की है, लेकिन हर महीने 80,000 रुपये कमा लेता हूं. 

सज्जाद ने बताया कि आजाद यूसुफ कुमार को जब बेटा हुआ, तो उसके एक सप्ताह बाद एजेंटों के निर्देश पर मुंबई चला गया. फिर वहां से उसे चन्नई ले जाया गया. जब वो चेन्नई से आगे निकला, तो उससे कोई संपर्क नहीं हो पाया. जनवरी में मुझे किसी अननॉन नंबर से व्हाट्सऐप कॉल आया, जो उसके भाई यूसुफ का था. उसने मुझे बताया कि जब वो दुबई पहुंचा, तो उससे रूस में नौकरी के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट पर सिग्नेचर करा लिया गया. जब वो रूस पहुंचा, तो से ट्रेनिंग कैंप में भेज दिया गया. सज्जाद के मुताबिक, उसके भाई को ट्रेनिंग के दौरान ही पैर में गोली लग गई. उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. कभी-कभी यूसुफ का मैसेज आता है. फिलहाल, वो रूस की ओर से यूक्रेन से जंग लड़ रहा है.यूसुफ के भाई सज्जाद ने कहा कि मेरा भाई एक बड़े गिरोह का शिकार हो गया है, जो नौकरी चाहने वालों को दुबई बुला रहा है और फिर उन्हें यूक्रेन के खिलाफ लड़ने के लिए रूस भेज रहा है. 

पंजाब के होशियारपुर के युवा की फंसने की है अलग कहानी

पंजाब के होशियारपुर के 23 साल के गुरप्रीत सिंह के रूस में फंसने की कहानी अलग है. हालांकि, वो भी झूठ का शिकार हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक, गुरप्रीत यात्रा करने का शौकीन है और कई देशों की यात्रा कर चुका है. नए साल के मौके पर गुरप्रीत ने सेंट पीटर्सबर्ग का टूर प्लान किया था. गुरप्रीत के चचेरे भाई संधू के अनुसार, वो 27 दिसंबर को सेंट पीटर्सबर्ग चला गया. इसके बाद वो कुछ दिनों तक मॉस्को मे रहा. नए साल के उत्सव में भाग लेने के बाद, उसने एक टैक्सी किराए पर ली और बेलारूस चला गया. गुरप्रीत को लगा कि बेलारूस में रूसी वीजा वैध है. जब वो बेलारूस पहुंचा तो उसे हिरासत में लिया गया और बेलारूस सेना ने उसे रूसी सेना के जवानों को सौंप दिया.

इसके बाद रूसी कर्मियों ने गुरप्रीत को बताया कि उसने बेलारूस में अवैध रूप से प्रवेश करके देश के कानून को तोड़ा है, और उसे 10 साल के लिए जेल में डालने की धमकी दी. उन्होंने उसका फोन और अन्य सामान जब्त कर लिया और उसे कैद में रखा. कई घंटों तक मिन्नत करने के बाद रूसी सैनिकों ने गुरप्रीत की फोन पर एक ट्रांसलेटर से बात कराई, जिसने उसे बताया कि जेल में सड़ने के बजाय, उसे एक सहायक के रूप में रूसी सेना में शामिल होना चाहिए. उसे 1 लाख रुपये वेतन देने का वादा किया गया था और कहा गया था कि वो मॉस्को में रहेगा और काम करेगा, लेकिन दो दिन बाद उसे ट्रेनिंग कैंप में भेज दिया गया. अब वो यूक्रेन के खिलाफ जंग में शामिल है. 

पिछले हफ्ते विदेश मंत्रायल ने दिया था ये जवाब

पिछले हफ्ते, विदेश मंत्रालय ने कहा था कि रूसी सेना में सहायक स्टाफ के रूप में काम कर रहे लगभग 20 भारतीय नागरिकों को जल्द वहां से लाने की पूरी कोशिश जारी है. विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा था कि हमारे अनुमान के मुताबिक, करीब 20 भारतीय हैं जो रूसी सेना के साथ सहायक स्टाफ या सहायक के रूप में काम करने के लिए वहां गए हैं. हम उन्हें जल्द से जल्द डिस्चार्ज करने के लिए अपने स्तर पर पूरी कोशिश कर रहे हैं.