Geniben Thakor: गुजरात की बनासकांठा लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती थी. यहां से बीजेपी को हराना नामुमकिन था. लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में बाजी पलट गई. और इस बाजी को पलटने वाली का नाम गेनीबेन ठाकोर है. लोगों से चंदा इकठ्ठा करके चुनाव लड़ा और सीट फतेह कर ली. उनके लिए बीजेपी के डॉ. रेखाबेन हितेश भाई चौधरी को हराना आसान नहीं था. लेकिन कहते हैं न कि जब आपका विरोधी मजबूत हो तो जीत का स्वाद बहुत ही अच्छा लगता है. बनासकांठा लोकसभा सीट से गेनीबेन ठाकोर को 671883 वोट मिले. उन्होंने रेखाबेन हितेश भाई को 30406 मतों के अंतर से हराया. रेखाबेन को 641477 वोट मिले.
बनासकांठा में गेनीबेन ठाकोर के लिए कैंपेन करना आसान नहीं था. उनकी सामने आर्थिक चुनौतियां थी. कांग्रेस से उन्हें किसी प्रकार की कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली. इसके बावजूद उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार को हराकर कांग्रेस के खाते में बनासकांठा सीट डाली. रेखा चौधरी इंजीनियरिंग की प्रोफेसर और गला भाई चौधरी की पोती हैं. गला भाई चौधरी ने बनास डेयरी की स्थापना 1969 में की थी.
2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बनासकांठा सीट जीती थी. लेकिन 2024 में उसे इस सीट से हाथ धोना पड़ा. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने गुजरात की सभी 26 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी. ऐसे में कांग्रेस को इस बार गुजरात में एक सीट मिलना अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है. कांग्रेस के लिए इस सीट को जीतना एक तरह से बीजेपी के किले को ढहाना था.
Geniben Thakor of Congress won historic seat in Banaskantha, Gujarat. She had to crowdsource funds to contest.
— Nehr_who? (@Nher_who) June 4, 2024
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गेनीबेन ठाकोर ने जमीनी स्तर के कार्यकर्ता के रूप में कांग्रेस ज्वाइन की थी. उन्होंने साल 2012 में अपना राजनीतिक डेब्यू किया था जब उन्होंने गुजरात के विधानसभा चुनाव में वाव विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
2012 में मिली हार का बदला गेनीबेन ठाकोर ने साल 2017 के लोकसभा चुनाव में लिया, जब उन्होंने बनास डेयरी के चेयरपर्सन शकर चौधरी को वाव विधानसभा सीट से हराया.