Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में ब्यास नदी का जलस्तर अचानक बढ़ जाने से कई इलाके जलमग्न हो गए हैं. कांगड़ा और चंबा जिलों में हालात गंभीर हो गए, जिसके बाद राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) ने बड़े पैमाने पर राहत और बचाव अभियान शुरू किया है. कल रात कांगड़ा जिले के इंदौरा स्थित अरनी विश्वविद्यालय परिसर ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ने से डूब गया है.
जैसे ही प्रशासन को स्थिति की जानकारी मिली, एनडीआरएफ की टीम तुरंत मौके पर पहुंची और बचाव अभियान शुरू किया. इस अभियान में 412 छात्रों और 15 कर्मचारियों को मिलाकर कुल 427 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है. इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि पानी का तेज बहाव होने के बावजूद एनडीआरएफ के जवान छात्रों को हाथ पकड़कर सुरक्षित बाहर निकाल रहे हैं.
एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट ललित मोहन सिंह की देखरेख में बुधवार को प्रभावित विश्वविद्यालय परिसर से और 26 लोगों (19 पुरुष और 7 महिलाएं) को निकाला गया है. इसी दौरान इंदौरा उपखंड के मंड और सनोर क्षेत्रों में बाढ़ के कारण फंसे ग्रामीणों को भी बचाया गया है. टीम ने यहां से 8 महिलाओं, 4 पुरुषों और 3 बच्चों सहित कुल 15 लोगों को सुरक्षित निकाला है.
कांगड़ा: बीती रात ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ने से इंदौरा स्थित निजी यूनिवर्सिटी का परिसर डूब गया , एनडीआरएफ ने 427 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
आज भी बचाव अभियान जारी है,एनडीआरएफ ने मंड और सनोअर क्षेत्रों से फंसे हुए 26 और लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया।#Kangra #Flood pic.twitter.com/vJf3J0T0OJ— DD News Himachal (@DDNewsHimachal) August 28, 2025Also Read
बचाव अभियान सिर्फ कांगड़ा तक सीमित नहीं रहा है. हिमाचल के चंबा जिले में चल रही श्री मणिमहेश यात्रा भी बाढ़ और प्रतिकूल मौसम की चपेट में आ गई है. यहां एनडीआरएफ की टीम, हिमाचल प्रदेश पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मिलकर गौरी कुंड के पास धनछो पहुंची. टीम ने सुरक्षा रस्सियों की मदद से अस्थायी पैदल पुल बनाया और पर्वतारोहण उपकरणों की सहायता से तीर्थयात्रियों की आवाजाही को सुगम बनाया है.
इस संयुक्त प्रयास से 3,269 तीर्थयात्रियों (1,730 पुरुष, 1,259 महिलाएं और 280 बच्चे) को सुरक्षित रूप से दुनाली तक पहुंचाया गया, जहां दूसरें दलों ने उन्हें हडसर तक पहुंचाने का जिम्मा संभाला. दो दिनों में एनडीआरएफ ने कुल 3,737 लोगों को सुरक्षित निकाला, जिससे प्राकृतिक आपदा के समय उनकी प्रतिबद्धता और क्षमता एक बार फिर सामने आई.