Dr Raghuram Rajan on US Tariffs: भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. रघुराम राजन ने अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए भारी शुल्क को चिंताजनक बताया है और कहा है कि यह भारत के लिए किसी एक व्यापार साझेदार पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए एक चेतावनी है.
अमेरिका ने भारत के सामन पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है. इसपर बोलते हुए राजन ने चेतावनी दी कि आज की वैश्विक व्यवस्था में व्यापार, निवेश और वित्त को तेजी से हथियार बनाया जा रहा है और भारत को सावधानी से कदम उठाने चाहिए.
हमें किसी एक देश पर बहुत अधिक निर्भर नहीं रहना चाहिए
रघुराम राजन ने कहा कि यह एक चेतावनी है. हमें किसी एक देश पर बहुत अधिक निर्भर नहीं रहना चाहिए. हमें पूर्व की ओर, यूरोप की ओर, अफ्रीका की ओर देखना चाहिए और अमेरिका के साथ आगे बढ़ना चाहिए. जबकि भारत को रूसी कच्चे तेल की खरीद के लिए ट्रम्प प्रशासन द्वारा कठोर शुल्क का सामना करना पड़ा है, रूसी तेल का सबसे बड़ा आयातक -चीन, और यूरोप जो मास्को से काफी मात्रा में ऊर्जा उत्पाद खरीद रहा है, वाशिंगटन के हाथों इसी तरह के व्यवहार से बच गया है.
रघुराम राजन ने भारत को रूसी तेल आयात पर अपनी नीति का पुनर्मूल्यांकन करने का सुझाव दिया और कहा कि हमें यह पूछना होगा कि इससे किसे फ़ायदा हो रहा है और किसे नुक़सान. रिफ़ाइनर अत्यधिक मुनाफा कमा रहे हैं, लेकिन निर्यातक टैरिफ के ज़रिए इसकी कीमत चुका रहे हैं. अगर फायदा उतना नहीं है, तो विचार करना होगा कि हमें खरीदना चाहिए या नहीं.
निवेश को हथियार बना दिया गया
भारत की चीन से तुलना करते हुए राजन ने कहा कि मुद्दा निष्पक्षता का नहीं, बल्कि भू-राजनीति का है. उन्होंने कहा, हमें किसी पर बहुत ज़्यादा निर्भर नहीं रहना चाहिए. व्यापार को हथियार बना दिया गया है. निवेश को हथियार बना दिया गया है. वित्त को हथियार बना दिया गया है. हमें अपने आपूर्ति स्रोतों और निर्यात बाजारों में विविधता लानी होगी. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री ने आगे तर्क दिया कि भारत को इस संकट को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए.
झींगा किसानों और कपड़ा निर्माताओं पर पड़ेगा असर
राजन ने कहा, हर हाल में चीन, जापान, अमेरिका या किसी और के साथ काम कीजिए. लेकिन उन पर निर्भर मत रहिए. सुनिश्चित कीजिए कि आपके पास विकल्प मौजूद हों, जिसमें जहां तक संभव हो, आत्मनिर्भरता भी शामिल है. इसे अमेरिका-भारत संबंधों के लिए एक झटका बताते हुए, राजन ने चिंता व्यक्त की कि इस कदम से विशेष रूप से झींगा किसानों और कपड़ा निर्माताओं जैसे छोटे निर्यातकों को नुकसान होगा और उनकी आजीविका खतरे में पड़ जाएगी.