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BJP का तो पता नहीं, JJP पर छाए संकट के बादल; फ्लोर टेस्ट से पहले हरियाणा में होगा खेला?

Haryana Political Crisis: हरियाणा की राजनीति में इन दिनों काफी कुछ चल रहा है. एक ओर भाजपा अपनी सरकार को लेकर आश्वस्त है, तो वहीं विपक्ष में शामिल कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी और निर्दलीय विधायक राज्यपाल से मिल रहे हैं, ताकि सदन में बहुमत परीक्षण कराया जाए. राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो भाजपा बिलकुल सेफ है, असली संकट तो जजपा पर है. आइए, समझते हैं.

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Haryana Political Crisis

Haryana Political Crisis: हरियाणा की राजनीति में कुछ बड़ा होने वाला है? ये सवाल इसलिए क्योंकि एक ओर जहां विपक्ष (कांग्रेस, जजपा, तीन निर्दलीय) राज्यपाल से मुलाकात कर सदन में बहुमत परीक्षण की मांग कर रहे हैं, तो वहीं भाजपा सरकार खुद को सेफ बता रही है. इन सबके बीच गुरुवार को एक बड़ा अपडेट ये आया कि दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) के 10 में से 3 विधायकों ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात की है. इस मुलाकात के बाद राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि भाजपा पर तो कोई खतरा नहीं है, बल्कि जजपा को पार्टी में टूट की आशंका को देखते हुए सतर्क रहना चाहिए. 

दरअसल, बड़ा अपडेट गुरुवार को उस वक्त आया जब जननायक जनता पार्टी के 3 बागी विधायक पानीपत में हरियाणा सरकार के मंत्री महिपाल ढांडा के घर पहुंचे. यहां हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर पहले से मौजूद थे. जजपा के तीनों बागी विधायकों ने खट्टर से मुलाकात की. मुलाकात के बाद JJP के बागी विधायक देवेंद्र बबली ने कहा कि हमारी (बागी विधायक) संख्या और बढ़ सकती है. उन्होंने दावा किया 10 में से आधे से अधिक यानी 6 विधायक जजपा नेतृत्व से नाराज है. हम सभी 11 से 13 मई के बीच मुलाकात करेंगे.

गुरुवार को एक और बड़ा अपडेट आया था

गुरुवार को इसके अलावा हरियाणा की राजनीति में एक और बड़ा अपडेट आया था. दरअसल, जजपा के चीफ दुष्यंत चौटाला (हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम) ने राज्यपाल चिट्ठी लिखी थी और सदन में फ्लोर टेस्ट की मांग की. उन्होंने भाजपा पर विधायकों के खरीद-फरोख्त केक भी आरोप लगाए. वहीं, इंडियन लोक दल (इनेलो) ने भी राज्यपाल को चिट्ठी लिख डाली और राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग कर दी और कहा कि सैनी सरकार बहुमत खो चुकी है. वहीं, राज्य के मुख्य विपक्ष दल कांग्रेस की ओर से भूपिंदर सिंह हुड्डा ने आज राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है.

दुष्यंत चौटाला ने राज्यपाल को लिखी चिट्ठी में क्या-क्या कहा?

दुष्यंत चौटाला ने कहा कि 3 निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद नयाब सिंह सैनी सरकार बहुमत में नहीं है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की ओर से अगर सैनी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आता है, तो वो इसका समर्थन करेंगे. वे भाजपा सरकार को गिराने की हर कोशिश का समर्थन करेंगे. उन्होंने कहा कि अब फैसला मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को लेना है. सदन में विधायकों की मौजूदा संख्या 88 है, ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 45 का है. फ्लोर टेस्ट के बाद ही पता चल पाएगा कि नयाब सिंह सैनी सरकार को कितने विधायकों का समर्थन है.

अब समझिए, सरकार कैसे गिरेगी, सरकार कैसे बचेगी?

हरियाणा विधानसभा में विधायकों की संख्या 90 है, लेकिन दो सीटों के खाली होने के बाद ये संख्या घटकर 88 हो गई है. भाजपा का दावा है कि उनके पास 43 विधायकों का समर्थन है. इनमें भाजपा के 40, निर्दलीय 2, हलोपा के 1 विधायक हैं. अब भाजपा को दो और विधायकों की जरूरत होगी. ऐसे में भाजपा, जजपा के नाराज चल रहे 6 विधायकों में से अगर दो को अपने पाले में कर लेते हैं, तो सरकार बच जाएगी. इसके अलावा, अगर भाजपा समर्थन लेने वाले 3 निर्दलीय विधायकों को एक बार फिर से मना लेती है, तो भी उनकी सरकार सेफ हो जाएगी. अगर जजपा के नाराज 6 विधायक अविश्वास प्रस्ताव यानी फ्लोर टेस्ट के दौरान अनुपस्थित होते हैं, तो फिर सदन में विधायकों की मौजूदा संख्या 82 हो जाएगी. ऐसे में भाजपा को 42 विधायकों की जरूरत होगी, जो उनके पास पहले से हैं.

सरकार गिरने की संभावनाओं पर नजर डाली जाए, तो ये ऐसे हो सकता है कि सदन में विपक्ष के पास विधायकों की संख्या 45 है. इनमें कांग्रेस के 30, जजपा के 10, 4 निर्दलीय और इनेलो के 1 विधायक हैं. अगर ये एकजुट हो जाएंगे तो भाजपा सरकार के लिए खतरे की स्थिति बन जाएगी. लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है क्योंकि 2 जजपा और एक हलोपा विधायकों ने भाजपा सरकार को समर्थन देने की बात कही है. ये अगर समर्थन वापस लेते हैं, तो भी सरकार गिर जाएगी.