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India Daily

'बड़े दिल वाले हैं तो घर में बनाओ शेल्टर.. ', सड़क पर कुत्तों को खाना खिलाने वाले शख्स को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा निवासी शख्स की उस याचिका पर सख्त प्रतिक्रिया दी जिसमें उसने आवारा कुत्तों को खाना खिलाने पर उत्पीड़न की शिकायत की थी. कोर्ट ने कहा कि अगर कोई इतना ही बड़ा दिल रखता है तो अपने घर में ही आश्रय बनाकर कुत्तों को वहीं खिलाए. साथ ही कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि क्या इंसानों के लिए अब सड़कों पर जगह नहीं बची है.

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Edited By: Kuldeep Sharma
street dog
Courtesy: web

आवारा कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों पर खिलाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई हुई जिसमें याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि नोएडा में कुत्तों को खाना खिलाने के दौरान उन्हें परेशान किया जा रहा है. याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 25 मार्च के आदेश को चुनौती दी गई थी और पशु जन्म नियंत्रण नियमों के अनुसार फीडिंग की अनुमति की मांग की गई थी. कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि इंसानों की सुरक्षा और सुविधा को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा, "हर गली और सड़क को क्या इन बड़े दिल वालों के हवाले कर दें? अगर आप कुत्तों को इतना ही खिलाना चाहते हैं तो अपने घर में आश्रय बनाएं और वहीं उन्हें खाना दें." कोर्ट की यह टिप्पणी उस वक्त आई जब याचिकाकर्ता ने कहा कि ग्रेटर नोएडा में तो ऐसे स्पॉट बनाए गए हैं लेकिन नोएडा में नहीं. कोर्ट ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, "हम आपको सुझाव देते हैं कि आप अपने घर को ही कुत्तों के लिए शेल्टर बना लें."

नियम 20 और आरडब्ल्यूए की जिम्मेदारी

याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि उन्हें पशु जन्म नियंत्रण नियम 2023 के तहत कुत्तों को खिलाने की अनुमति होनी चाहिए. नियम 20 के मुताबिक, आरडब्ल्यूए (रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन) या एओए (अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन) की यह जिम्मेदारी है कि वे सोसायटी के भीतर किसी खास स्थान और समय को फिक्स करें, जहां कुत्तों को खिलाया जा सके. साथ ही यह भी देखा जाना चाहिए कि बच्चों और बुजुर्गों को इससे कोई असुविधा न हो.

कुत्तों के हमलों पर चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों से जुड़े हमलों पर चिंता जताते हुए कहा कि "आप सुबह साइकिल चलाते हैं? जरा सुबह-सुबह साइकिल चला कर देखिए क्या होता है." कोर्ट ने यह बात हाल के उन मामलों के संदर्भ में कही जिसमें मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में आवारा कुत्तों के हमले में बच्चों की जान जा चुकी है. अदालत ने कहा कि जानवरों की सुरक्षा जरूरी है, लेकिन आम आदमी की सड़कों पर सुरक्षित आवाजाही भी उतनी ही अहम है.

करुणा और सुरक्षा दोनों जरूरी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले ही इस मामले पर कहा था कि कुत्तों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए लेकिन साथ ही आम लोगों की सुरक्षा और सड़कों पर निर्बाध आवाजाही भी बनी रहे. हाईकोर्ट ने राज्य प्राधिकरणों को निर्देश दिया था कि वे याचिकाकर्ता की चिंताओं को और आम जनता की परेशानी को ध्यान में रखते हुए संवेदनशीलता के साथ समाधान निकालें.