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India Daily

PM मोदी ने चोल वंश के सम्मान में जारी किया 1000 रुपये का सिक्का, जानें क्यों है खास?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु के दो दिवसीय यात्रा पर हैं. इस दौरान उन्होंने सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम के सम्मान में एक विशेष स्मारक सिक्का जारी किया है. यह सिक्का बेहद ही खास है क्योंकि इसे 99.9% शुद्ध चांदी से तैयार किया गया है.

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Edited By: Shanu Sharma
Rajendra Chola Commemorative Coin
Courtesy: Social Media

Rajendra Chola Commemorative Coin: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम की ऐतिहासिक विरासत को सम्मानित करते हुए एक विशेष स्मारक सिक्का जारी किया है. यह भव्य आयोजन गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर में 'आदि तिरुवथिरई' समारोह के दौरान किया.

विशेष स्मारक सिक्का भारत की सांस्कृतिक धरोहर और चोल वंश की भव्यता को दर्शाता है. सिक्के का अग्रभाग अशोक स्तंभ से सुशोभित है, जो भारत की संप्रभुता को दर्शाता है. इसके नीचे 'सत्यमेव जयते' और रुपये का प्रतीक अंकित किया गया है. इसके अलावा इस पर 'भारत' और 'INDIA' शब्द क्रमशः देवनागरी और अंग्रेजी में लिखे गए हैं. 

विशेष स्मारक सिक्के की खासियत 

सिक्के के पृष्ठभाग पर राजेंद्र चोल के नौसैनिक अभियान की शानदार आकृति उकेरी गई है. इसमें सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम के नौसैनिक अभियान के 1000 वर्ष दोनों लिपियों में अंकित है. इस सिक्के को बिल्कुल शुद्ध चांदी से तैयार किया गया है, जिसका वजन 40 ग्राम और व्यास 44 मिलीमीटर है. इसके किनारे पर 200 दांतेदार निशान हैं.

महान शासक राजेंद्र चोल प्रथम ने 11वीं शताब्दी में दक्षिण भारत में गंगईकोंडा चोलपुरम को अपनी नई राजधानी बनाया. उनकी सेना ने गंगा नदी का पवित्र जल लाकर इस शहर की स्थापना की. यह शहर चोल वंश की वास्तुकला और समृद्धि का प्रतीक बना. गंगईकोंडा चोलपुरम का बृहदेश्वर मंदिर, जिसे राजेंद्र ने अपने पिता राजा राज चोल के सम्मान में बनवाया, आज भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित है. 55 मीटर ऊंचा यह मंदिर शिव को समर्पित है और इसकी कला व मूर्तियां चोल युग की भव्यता को दर्शाती हैं. 

समारोह में परंपराओं का उत्सव

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर चोल वंश की समृद्ध सांस्कृतिक और नौसैनिक विरासत को याद किया. उन्होंने कहा कि यह सिक्का न केवल राजेंद्र चोल की उपलब्धियों को सम्मानित करता है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर को विश्व पटल पर ले जाता है. यह आयोजन तमिलनाडु की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक पहचान को और मजबूत करता है. स्थानीय प्रशासन और निवासियों ने मंदिर परिसर के विकास और पर्यटन को बढ़ावा देने की माँग की है. ध्वनि-प्रकाश शो और बेहतर सुविधाएँ इस क्षेत्र को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर और प्रमुखता दिला सकती हैं. यह सिक्का और समारोह भारत की समृद्ध इतिहास और संस्कृति को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.