नई दिल्ली: सेहत के लिए खतरनाक Pesticides पर प्रतिबंध लगाने में केंद्र की हीलाहवाली पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का पारा चढ़ गया.
सीजेआई इस मामले पर इतने खफा दिखे कि उन्होंने कोर्ट में सरेआम कह दिया कि जब तक आपके मनमाफिक फैसला नहीं आएगा तब तक कमेटी पर कमेटी बनाते रहोगे क्या? उन्होंने आगे कहा कि केंद्र पहले की कमेटियों पर अमल क्यों नहीं कर रहा है?
मालूम हो कि केंद्र सरकार ने पहले 27 Pesticides को ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में बैन करने के लिए शामिल किया था, लेकिन जब फाइनल ड्राफ्ट बना तो उसमें केवल 3 Pesticides ही शामिल किए गए जबकि दिसंबर 2015 में बनी अनुपम वर्मा कमेटी ने 66 में से 13 Pesticides को पूरी तरह से बैन करने की सिफारिश की थी.
इंडस्ट्री की आपत्ति के बाद केंद्र ने बनाई एक और कमेटी
जब Pesticides इंडस्ट्री ने समिति के फैसले पर आपत्ति जताई तो केंद्र ने 2017 में एसके मल्होत्रा कमेटी का गठन कर दिया. इस कमेटी ने 2018 में दी अपनी रिपोर्ट में कहा कि 27 Pesticides पर तुरंत प्रतिबंध लगाए जाने की जरूरत है, लेकिन केंद्र ने इस कमेटी की सिफारिश को भी नहीं माना और पिछले साल टीपी राजेंद्रदन कमेटी बना दी.
CJI ने टीपी राजेंद्रदन कमेटी पर उठाये सवाल
पिछली सुनवाई के दौरान सीजेआई ने केंद्र से पूछा था कि पिछली दो कमेटियों की रिपोर्ट को वो सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करे और बताए कि सिफारिश के बावजूद केवल 3 Pesticides पर ही प्रतिबंध क्यों लगाया गया.
आज हुई सुनवाई में सीएजाई काफी सख्त दिखे, उन्होंने केंद्र सरकार के वकील से सख्ती भरे लहजे में कहा कि जब तक आपके मुताबिक फैसला नहीं आ जाएगा तब तक आप कमेटी पर कमेटी बनाते रहेंगे. उन्होंने सवाल किया कि सरकार ने टीपी राजेंद्रदन कमेटी का गठन क्यों किया.
केंद्र का रवैया हीलाहवाली वाला- प्रशांत भूषण
वहीं इस मामले पर वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि केंद्र सरकार का रवैया हीलाहवाली वाला है, वहीं सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने कहा कि किसी भी फैसले पर पहुंचने हम पूरी तरह संतुष्ट होना चाहते हैं जिसके बाद में कोई मीनमेख न निकाल सके, इसी वजह से कमेटी के बाद कमेटी बनाकर यह देखा जा रहा है कि Pesticides पर बैन ठीक भी है या नहीं.
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