menu-icon
India Daily

Epilepsy: मिर्गी की बीमारी किन लोगों को ज्यादा होती है? जानिए कारण, लक्षण और इलाज की सही जानकारी

मिर्गी किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन कुछ खास वर्ग के लोग इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं. सही जानकारी और समय पर इलाज से इस बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है. आइए जानते हैं मिर्गी किन लोगों को ज्यादा होती है, इसके लक्षण क्या हैं और इलाज कैसे होता है.

auth-image
Edited By: Reepu Kumari
Neurological
Courtesy: Pinterest

Epilepsy: 'कांटा लगा' गाने और 'बिग बॉस 13' से मशहूर हुईं अभिनेत्री शेफाली जरीवाला का शुक्रवार देर रात 42 साल की उम्र में निधन हो गया. उनके अचानक चले जाने से मनोरंजन जगत में शोक की लहर दौड़ गई है. एक बार शेफाली ने किसी इंटरव्यू में बताया था कि वो 15 साल से मिर्गी की बीमारी से जूझ रही हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं ये बीमारी किन लोगों को ज्यादा टार्गेट करती है.  

मिर्गी यानी एपिलेप्सी एक ऐसी न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जो दिमाग में असामान्य गतिविधियों के कारण होती है. इसमें मरीज को बार-बार दौरे (सीज़र) पड़ते हैं और कई बार ये अचानक हो जाते हैं, जिससे आसपास के लोग भी घबरा जाते हैं.

किस उम्र में होती है ये बीमारी?

मिर्गी किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन कुछ खास वर्ग के लोग इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं. सही जानकारी और समय पर इलाज से इस बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है. आइए जानते हैं मिर्गी किन लोगों को ज्यादा होती है, इसके लक्षण क्या हैं और इलाज कैसे होता है.

किन लोगों को ज्यादा होती है मिर्गी?

बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित: मिर्गी का खतरा सबसे ज्यादा छोटे बच्चों और 60 साल से ऊपर के लोगों में देखा गया है. बच्चों में जन्म के समय हुई दिमागी चोट या बुखार की वजह से, और बुजुर्गों में स्ट्रोक या ब्रेन ट्यूमर के कारण ये समस्या होती है.

परिवार में अगर पहले किसी को मिर्गी रही हो: जिन लोगों के परिवार में पहले किसी को मिर्गी रही है, उनमें यह बीमारी आनुवांशिक रूप से आ सकती है.

सिर की चोट या ब्रेन डैमेज: एक्सीडेंट या सिर में गहरी चोट लगने से दिमाग में गड़बड़ी हो सकती है, जिससे मिर्गी का खतरा बढ़ जाता है.

मिर्गी के लक्षण

  • बार-बार बेहोशी या झटके आना
  • आंखें पलटना या मुंह से झाग आना
  • शरीर का एक हिस्सा अचानक कांपना
  • भ्रम की स्थिति या बातों का दोहराव

मिर्गी का इलाज

मिर्गी का इलाज संभव है. इसके लिए दवाइयां दी जाती हैं जो दौरे पड़ने की घटनाओं को कम कर सकती हैं. कुछ मामलों में सर्जरी या स्पेशल थैरेपी की जरूरत भी पड़ सकती है. सबसे जरूरी बात है-समय पर सही इलाज और परिवार का साथ.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई तमाम जानकारी अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स से ली गई हैं. इंडिया डेली लाइव आपको किसी भी सलाह को मानने से पहले अपने डॉक्टर के पास जानें की सलाह देता है.