Lok Sabha Election: देश भर में अग्निपथ योजना को लेकर सड़कों पर कभी खूब बवाल हुई है. अग्निपथ योजना को लेकर देश के अधिकांश युवाओं में गुस्सा देखने को मिला था. धीरे धीरे समय बीतता गया और फिर सड़कों पर युवाओं का प्रदर्शन थम गया. हालांकि, आज भी युवाओं में अग्निपथ को लेकर गुस्सा देखने को मिलता है. पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की अगर हम बात करें तो यह राज्य सेना के जवानों और सेवानिवृत्त सेना कर्मियों के परिवारों के भरा हुआ है लेकिन अब डिफेंस की नौकरी को लेकर युवाओं में उदासीनता देखने को मिल रही है.
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर हाल में ही गढ़वाल में एक रैली को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस को घेरते हुए सेना के जवानों और सेवानिवृत्त सेना कर्मियों के परिवारों को उचित सम्मान नहीं देने का आरोप लगाया था. देश के वर्तमान सीडीएस जनरल अनिल चौहान भी पौड़ी गढ़वाल के गवाना क्षेत्र से संबंध रखते हैं.
सेना में भर्ती के लिए केंद्र सरकार की ओर से अग्निपथ योजना लगाए जाने के बाद उत्तराखंड के युवाओं में हर तरफ उदासीनता देखने को मिल रही है. सेना भर्ती की तैयारी करने वाले कई छात्र अब अपना कैरियर बदल बैठे हैं. राज्य में बड़ी तादाद में ऐसे युवा थे जो अग्निपथ के आने के बाद सेना में शामिल नहीं होना चाहता. बीजेपी ने इन युवाओं के सपनों पर पानी जरूर फेर दिया लेकिन इसके बाद भी प्रदेश के लोगों की च्वाइस में बीजेपी पहले नंबर पर है. आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे का कारण.
केंद्र सरकार ने साल 2022 में अग्निपथ भर्ती योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत डिफेंस में युवाओं को 4 साल के लिए शामिल करने का फैसला किया गया है. चार साल के बाद बैच में से 25 फीसदी लोगों की नौकरी पक्की जाएगी और बाकी सभी लोगों को रिटायरमेंट देकर बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा. सरकार के इस योजना के खिलाफ बड़ी संख्या में युवा सड़कों पर लामबंद हुए थे.