menu-icon
India Daily

Baramulla Lok Sabha Seat: उमर अब्दुल्ला करेंगे संसद में वापसी या निर्दलीय बिगाड़ेंगे गेम?

Omar Abdullah: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके उमर अब्दुल्ला इस बार श्रीनगर के बजाय बारामुला सीट से चुनाव में उतरे हैं, ऐसे में यहां का मुकाबला काफी रोमांचक हो गया है.

auth-image
Edited By: India Daily Live
Baramulla Lok Sabha Seat
Courtesy: India Daily Live

जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के हटने के बाद से बहुत कुछ बदल गया है. इस बार विधानसभा चुनावों का कोई अता-पता नहीं है तो सारे बड़े नेता लोकसभा चुनाव में उतर रहे हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला हों, पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती हों या फिर पीपल्स कॉन्फ्रेंस के सजाद लोन हों. जम्मू-कश्मीर की सभी 5 लोकसभा सीटों पर इस बार हाई प्रोफाइल चेहरे नजर आ रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला भी 20 साल बाद लोकसभा चुनाव में उतर रहे हैं. इस बार बदलाव यह है कि वह अपने परिवार की परंपरागत सीट श्रीनगर के बजाय बारामुला सीट से चुनाव में उतर गए हैं.

इसी सीट से पीपल्स कॉन्फ्रेंस के सजाद लोन, पीडीपी के मोहम्मद फैयाद, अब्दुल राशिद शेख, पीरजादा मुदासिर रशीद शाह, नीर अहमद सोफी और मुस्ताक अहमद मीर जैसे उम्मीदवारों ने भी पर्चा भरा है. 20 मई को 5वें चरण में होने वाले चुनाव के लिए इन हाई प्रोफाइल उम्मीदवारों के उतरने से यहां का चुनाव काफी रोमांचक होने वाला है. शायद यही वजह है कि इस सीट को अपने कब्जे में रखने के लिए श्रीनगर छोड़कर इस सीट पर खुद उमर अब्दुल्ला ही चुनाव में उतर गए हैं.

क्या है बारामुला लोकसभा का गणित?

बारामुला लोकसभा सीट पर 2019 में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने ही जीत हासिल की थी. पिछली बार भी इस सीट पर कई पार्टियों के हाई प्रोफाइल नेता उम्मीदवार थे. हालांकि, इस बार नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के साथ आने से उमर अब्दुल्ला का रास्ता थोड़ा आसान जरूर हो सकता है. पिछली बार नेशनल कॉन्फ्रेंस के मोहम्मद अकबर लोन ने जम्मू-कश्मीर पीपल्स कॉन्फ्रेंस के राजा एजाज अली को हराया था. निर्दलीय चुनाव लड़े इंजीनियर राशिद को 1 लाख से ज्यादा वोट मिले थे लेकिन वह तीसरे नंबर पर रहे थे.

इस सीट पर अब तक हुए कुल 15 चुनावों में 10 बार नेशनल कॉन्फ्रेंस ने ही ही जीत हासिल की है. कांग्रेस पार्टी ने चार बार यह सीट जरूर जीती है लेकिन आखिरी बार उसे 1996 में यहां जीत नसीब हुई थी. 2014 में यहां पर पीडीपी के मुजफ्फर हुसैन बेग ने जीत हासिल करके नेशनल कॉन्फ्रेंस के विजय रथ को रोक दिया था.

परिसीमन के बाद क्या बदला?

पहले इस लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल 15 विधानसभा सीटें आती थीं. अब नए सिरे से हुए परिसीमन के बाद इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 28 सीटें आ गई हैं. इसमें कुपवाड़ा की 6, बारामुला की 7, बांदीपोरा की 3 और बडगाम की 2 विधानसभा सीटें आती हैं. ऐसे में इस बार सभी पार्टियों के सामने लोकसभा क्षेत्र के विस्तार और मतदाताओं की संख्या को लेकर समस्या भी आने वाली है. यही वजह है कि यहां के समीकरण भी अब पहले जैसे नहीं रह गए हैं.

इस बार इस सीट पर एक तरफ अब्दुल्ला परिवार की साख दांव पर लगी है, दूसरी ओर निर्दलीय राशिद इंजीनियर हैं. बीजेपी खुद को इस सीट पर चुनाव नहीं लड़ रही है लेकिन अंदरखाने ही वह वह सजाद लोन को समर्थन दे रही है. वहीं, अन्य निर्दलीय उम्मीदवार अगर थोड़े-बहुत वोट भी ले पाते हैं तो चुनाव काफी रोमांचक हो जाएगा. 

कौन-कौन बना है बारामुला का सांसद?

इसी सीट से कांग्रेस से सैयद अहमद आगा, नेशनल कॉन्फ्रेंस के सैफुद्दीन सोज, अब्दुल अहद वकील, ख्वाजा मुबारक शाह, कांग्रेस के गुलाम अहमद रसूल, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अब्दुल राशिद शाहीन, शरीफुद्दीन शारिक और मोहम्मद अकबर लोन जैसे नेता सांसद रह चुके हैं.