Dada Pala Saklay Temple: देवी-देवताओं और लोक देवताओं के मंदिर तो हमने खूब देखे हैं, लेकिन क्या आपने कभी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है जो पशुओं के लिए समर्पित हो? राजस्थान के झुंझुनू में स्थित पाला सकलाय दादा का मंदिर एक ऐसा ही अनोखा मंदिर है. यह मंदिर बाकरा गांव में स्थित है और इसकी मान्यता बहुत गहरी है. कहा जाता है कि यहां न केवल इंसानों के दुःख दूर होते हैं, बल्कि पशुओं के भी.
कहा जाता है कि पाला सकलाय दादा गांव के ही एक युवा थे. एक बार जब लुटेरे गांव की गायों को लूटकर ले जा रहे थे, तब दादा पाला सकलाय उनसे लड़ने गए. लुटेरों से लड़ाई में उनकी गर्दन कट गई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और गायों को छुड़ाकर वापस गांव लाए.
कहते हैं कि बिना गर्दन के ही दादा गायों को लेकर गांव आ रहे थे. गांव की एक महिला ने उन्हें खेतों में काम करते हुए देखा और उनके वीरता से प्रभावित हो गई. दादा पाला सकलाय गांव के बाहर धरती में समा गए और उसी जगह पर उनका मंदिर बना दिया गया.
आज भी लोगों में इस मंदिर के लिए गहरी आस्था है. जिन लोगों को खाज, खुजली, मस्से जैसी बीमारियां होती हैं, वे यहां आकर मन्नत मांगते हैं. इसके अलावा, ग्रामीण अपने बीमार पशुओं को भी यहां लेकर आते हैं. मंदिर में आकर लोगों को लाभ मिलता है और उनके पशु भी स्वस्थ हो जाते हैं.
पाला सकलाय दादा का महत्व
पाला सकलाय दादा को लोक देवता के रूप में पूजा जाता है. उनकी वीरता और पशुओं के प्रति प्रेम उन्हें ग्रामीणों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनाता है. यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह पशुओं के प्रति दया और करुणा का भी संदेश देता है. अगर आप कभी झुंझुनू जाएं, तो पाला सकलाय दादा के मंदिर में जरूर दर्शन करें और इस अनोखी परंपरा का अनुभव करें.