Bhagwan Mahaveer Nirvan Mahotsav: पीएम मोदी ने 'भारत मंडपम' में भगवान महावीर निर्वाण महोत्सव में कहा कि हम कभी दूसरे देशों को जीतने के लिए आक्रमण करने नहीं आए. हमने खुद में सुधार करके अपनी कमियों पर विजय पाई है, इसलिए मुश्किल से मुश्किल दौर आए और हर दौर में कोई न कोई ऋषि हमारे मार्गदर्शन के लिए प्रकट हुए.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बड़ी-बड़ी सभ्याएं खत्म हो गईं, लेकिन भारत ने अपना रास्ता खोज ही लिया. आज देश की नई पीढ़ी को ये विश्वास हो गया है कि हमारी पहचान, हमारा स्वाभिमान है. जब राष्ट्र में स्वाभिमान का ये भाव जग जाता है, तो उसे रोकना असंभव हो जाता है। भारत की प्रगति, इसका प्रमाण है.
उन्होंने कहा कि हर नये युग में नये विचार उभरते हैं. जब विचारों में ठहराव आ जाता है तो विचार बहस में बदल जाते हैं और अंततः बहस बहस में बदल जाती है. जब विचारों से अमृत निकलता है, तो यह हमें नवप्रवर्तन की ओर आगे बढ़ाता है. लेकिन जब विचार जहर उगलते हैं तो हम हर पल विनाश के बीज बोते हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद से, इन सभी वर्षों में, हमने तर्क दिया, हमने बहस की, हमने विश्लेषण किया, हमने सोचा, हमने महसूस किया... इस सारे विचार-मंथन के बाद, अब, यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम जहर से छुटकारा पाएं, उत्पादित अमृत का सेवन करें, और 'अमृत काल' को जीएं जिसका हमें आशीर्वाद मिला है!
भगवान महावीर का ये 2,550वां निर्वाण महोत्सव हजारों वर्ष का एक दुर्लभ अवसर है. ऐसे अवसर कई विशेष संयोगों को भी जोड़ते हैं. ये वो समय है, जब भारत अमृतकाल के शुरुआती दौर में है. इस साल हमारे संविधान को भी 75 वर्ष होने जा रहे हैं. इसी समय देश में एक बड़ा लोकतांत्रिक उत्सव भी चल रहा है. देश का विश्वास है कि यहीं से भविष्य की नई यात्रा शुरू होगी. भारत न केवल विश्व की सबसे प्राचीन जीवित सभ्यता है, बल्कि मानवता का सुरक्षित ठिकाना भी है.
ये भारत ही है, जो...
स्वयं के लिए नहीं, सर्वम के लिए सोचता है.
स्व की नहीं, सर्वस्व की भावना करता है.
अहम नहीं, वहम की सोचता है.
इति नहीं, अपरिमित में विश्वास करता है.
नीति और नियति की बात करता है.
पिंड में ब्रह्मांड की बात करता है.
विश्व में ब्रह्म की बात करता है.
जीव में शिव की बात करता है.