PM E-Bus Scheme: केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री ई-बस सेवा योजना लॉन्च की है. राज्य अगर चाहें तो इस योजना का लाभ उठाकर अपनी खटारा और प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार बसों से निजात पा सकते हैं.
आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने इस योजना के संबंध में राज्यों के साथ दिशा-निर्देश साझा किये हैं और राज्यों को इस योजना का प्रस्ताव भेजा है.
दरअसल, यह योजना 169 शहरों के सार्वजनिक परिवहन ढांचे को दुरुस्त करने के मकसद से घोषित की गई है. केंद्र सरकार ने राज्यों से बसों को आवंटन करने के लिए प्रस्ताव मांगे हैं.
पहले चरण में इस योजना के तहत राज्यों को 10 हजार इलेक्ट्रिक बसें दी जाएंगी.
गाइडलाइंस के अनुसार, जो राज्य अथवा शहरी निकाय पंजीकृत वाहन स्कैपिंग सुविधा केंद्रों से बसों के स्क्रैप किए जाने का सर्टिफिकेट प्रस्तुत करेंगे, उन्हें उतनी ही संख्या में इस योजना के तहत बसें आवंटित की जा सकती हैं.
दरअसल, केंद्र सरकार की यह योजना इसलिए भी अहम हैं क्योंकि ज्यादातर राज्य अपने बेड़े की खटारा और प्रदूषण फैलाने वाली बसों को हटाने से आनाकानी कर रहे हैं.
वे नई बसों को खरीदने के लिए पर्याप्त फंड न होने की दलील दे रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार ने वाहन स्क्रैपिंग पॉलिसी के तहत 1 अप्रैल से 15 साल पुराने सरकारी वाहनों को अनिवार्य रूप से स्क्रैप करने को कहा है.
वहीं पीएम ई-बस स्कीम के तहत जो बसें राज्यों को बांटी जाएंगी उनकी पूरी फंडिंग केंद्र की तरफ से ही होगी. केंद्र राज्यों को बसों की खरीद के लिए ही फंड उपलब्ध नहीं कराएगी बल्कि शहरों में बस डिपो, चार्जिंग स्टेशन समेत बसों के रखरखाव में भी राज्यों की सहायता करेगी.
हालांकि केंद्र से इस स्कीम का लाभ लेने के लिए राज्यों और शहरों को कई कसौटियों पर खरा उतरना होगा.
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