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ये हैं सबसे ज्यादा कमाई वाले सेक्टर, इनमें पैसा लगाकर देसी ही नहीं विदेशी भी हो रहे मालामाल

FMCG और IT  स्टॉक से किनारा करते हुए  FIIs ने अब भारत के पावर, फाइनेंसियल सर्विसेज, कंज्यूमर गुड्स, ऑटोमेटिव और टेलीकम्युनिकेशन में निवेश बढ़ाया है.

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भू-राजनीतीक टेंशन, कंपनियों के हाई वैल्युएशन की चिंता और  लगातार उठा-पटक के बावजूद भारतीय शेयर बाजार पर विदेशी निवेशकों का भरोसा लगातार बढ़ता जा रहा है. हालांकि विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) मोटी कमाई के लिए बहुत ही सोच समझकर, परिस्थितियों को देखते हुए निवेश कर रहे हैं.

 एफएमसीजी और आईटी  स्टॉक से किनारा करते हुए  FIIs ने अब भारत के पावर, फाइनेंसियल सर्विसेज, कंज्यूमर गुड्स, ऑटोमेटिव और टेलीकम्युनिकेशन में निवेश बढ़ाया है.

पावर सेक्टर में किया 5,143 करोड़ का निवेश 
अप्रैल के पहले दो हफ्तों में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने पावर सेक्टर में 5,143 करोड़ का निवेश  किया है, जो अगस्त 2023 के बाद भारत में उनका सबसे बड़ा निवेश है. 

आखिर क्यों पसंद आ रहा पावर सेक्टर 
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में इस समय भीषण गर्मी पड़ रही है, जिसके और बढ़ने के आसार है. गर्मी बढ़ने से बिजली की खपत पढ़ेगी, जिससे पावर सेक्टर की कंपनियों को फायदा होगा. उन्होंने कहा कि इस बार बिजली की खपत सर्वकालिक उच्च स्तर पर रहने की उम्मीद है.

इसके अलावा विदेशी संस्थागत निवेशकों ने फाइनेंशियल सर्विसेज में 3,212 करोड़, कंज्यूमर सर्विसेज सेक्टर में 1,713 करोड़, ऑटोमेटिव और टेलीकम्युनिकेशन में 1,660 करोड़ का निवेश किया है.

इन सेक्टरों से हुआ मोह भंग
इसके विपरित FIIs ने टेक्नोलॉजी और एफएमसीजी शेयरों में अपने निवेश में कमी की है. मार्च में उन्होंने आईटी शेयरों से 1,659 करोड़ और अप्रैल में 4,658 करोड़ रुपए निकाले हैं. इसके अलावा उन्होंने  FMCG  से 4,351 करोड़ निकाले हैं.

कमजोर रहे IT शेयरों के नतीजे
बता दें कि आईटी स्टॉक्स में लगातार कमजोरी बनी हुई है. कमजोर नतीजों के बाद आईटी शेयर दबाव में हैं.  चौथी तिमाही में इंफोसिस का राजस्व घटा है. 

इसके अलावा FMCG शेयरों को दबाव का सामना करना पड़ा क्योंकि विश्लेषकों ने धीमी ग्रामीण वृद्धि, सर्दियों में देरी और कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण चौथी तिमाही के सुस्त रहने का अनुमान लगाया है. Elara Capital इस सेक्टर में सिंगल डिजिट ग्रोथ की भविष्यवाणी की है. हिंदुस्तान यूनिलीवर और ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज जैसे बड़े FMCG प्लेयर भी घाटे का सामना कर रहे हैं.

इसके अलावा विदेशी संस्थागत निवेशकों ने कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में 1,624 करोड़, तेल और गैस सेक्टर से 923 करोड़ और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र से 704 करोड़ निकाले हैं.