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India Daily

20°C से नीचे और 28°C से ऊपर नहीं चलेगा AC, 24% तक कम हो जाएगा बिजली का बिल

AC Standard Temperature Settings: एसी के टेम्प्रेचर को जल्द ही सरकार सेट करने जा रही है. ऐसे में लोगों के दिमाग में यह सवाल होगा कि इससे लोगों का क्या फायदा होगा, तो चलिए जानते हैं क्या होगा इस फैसले से फायदा.

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Edited By: Shilpa Srivastava
AC Standard Temperature Settings

AC Standard Temperature Settings: Sसरकार ने एक अहम घोषणा करते हुए कहा है कि जल्द ही भारत में एयर कंडीशनर के लिए एक निश्चित टेम्प्रेचर लिमिट सेट की जाएगी जो 20°C और 28°C के बीच होगी. ऐसे में जितने भी नए एसी आएंगे उन्हें इसी के आधार पर बनाया जाएगा. इस कदम का उद्देश्य घरों और कमर्शियल जगहों में एनर्जी के इस्तेमाल को रेगुलेट करना है. ऐसे इसलिए क्योंकि भारत बढ़ती बिजली की मांग और बढ़ती गर्मी से जूझ रहा है.

मनोहर लाल खट्टर ने कहा, "एयर कंडीशनिंग मानकों के संबंध में जल्द ही एक नया प्रावधान लागू किया जा रहा है. एसी के लिए टेम्प्रेचर 20°C से 28°C के बीच निर्धारित किया जाएगा, जिसका सीधा मतलब है कि हम 20°C से नीचे ठंडा या 28°C से ऊपर गर्म नहीं कर पाएंगे."

आखिर क्या है इस नए नियम का मतलब?

केंद्र के नए निर्देश से सभी एयर कंडीशनर की कूलिंग कैपेसिटी सीमित हो जाएगी, फिर चाहे वो घर पर हो या कमर्शियल जगहों पर. अभी की बात करें तो कई एसी 16 डिग्री सेल्सियस या 18 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान तक जाते हैं और हीट सेटिंग में 30 डिग्री सेल्सियस तक की अनुमति देते हैं. नए मानकों के तहत, निर्माताओं को नए 20 डिग्री सेल्सियस-28 डिग्री सेल्सियस रेंज के कम्प्लायंस को सुनिश्चित करने के लिए अप्लायंसेज को फिर से प्रोग्राम करना होगा या फिर नया सॉफ्टवेयर अपडेट जारी करना होगा. 

आखिर सरकार ने क्यों उठाया ये कदम?

इस कदम के पीछे सरकार का तर्क बिजली आपूर्ति के लिए कॉम्प्रीहेंसिव नेशनल पॉलिसी को आगे बढ़ाना है. अर्बन मिडिल क्लास तेजी से बढ़ रहा है और हर साल एयर कंडीशनर की पहुंच बढ़ रही है जिसके साथ भारत में पीक समर सीजन में बिजली की खपत में तेज उछाल देखा जा रहा है.

एयर कंडीशनर को जब कम टेम्प्रेचर पर चलाया जाता है बिजली ग्रिड पर काफी ज्यादा लोड बढ़ जाता है. ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशियंसी के अनुसार, ज्यादातर भारतीय अपने AC को लगभग 20-21 डिग्री सेल्सियस पर सेट करते हैं, जो जरूरी तापमान से बहुत कम है. इससे बिजली का बिल काफी ज्यादा आता है और बिजली की खपत भी बहुत ज्यादा होने लगती है.

20 डिग्री सेल्सियस पर न्यूनतम कूलिंग लिमिट और 28 डिग्री सेल्सियस पर अधिकतम हीटिंग लिमिट निर्धारित करके, सरकार का लक्ष्य एनर्जी एफिशियंसी में सुधार करना, राष्ट्रीय बिजली ग्रिड पर दबाव कम करना, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना और लोगों के कूलिंग सिस्टम का इस्तेमाल करने के तरीके में बदलाव लाना है. 

कितना बच जाएगा बिजली का बिल?

ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशियंसी ने लंबे समय से एयर कंडीशनिंग प्रैक्टिसिज की वकालत की है. इसके डाटा से पता चलता है कि आपके एसी का टेम्प्रेचर सिर्फ एक डिग्री बढ़ाने से बिजली का इस्तेमाल लगभग 6 प्रतिशत कम हो सकता है. ऐसे में तापमान को 20 डिग्री सेल्सियस से 24 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ाने से 24 प्रतिशत तक की बचत हो सकती है. पूरे गर्मी के मौसम में, यह घरों के लिए बिजली के बिलों में काफी ज्यादा कमी ला सकता है. साथ ही राष्ट्रीय ग्रिड पर लोड कम कर सकता है.

हालांकि, बहुत से लोग हैं जो यह नहीं समझते हैं कि भारत में बहुत ज्यादा गर्मी और ह्यूमिडिटी रहती है. ऐसे में 6 डिग्री सेल्सियस तक कमरा ठंडा करना न तो जरूरी है और न ही सेहत के लिए सही है. विशेषज्ञों का कहना है कि इनडोर जगहों के लिए तापमान 24 डिग्री सेल्सियस और 26 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है.