Dark Web: इंटरनेट का इस्तेमाल आप हर रोज करते हैं लेकिन क्या अभी आपने सोचा है कि इंटरनेट क्या है? थोड़ी टेक्नीकल लैंग्वेज में बात करें तो इंटरनेट अरबों कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज का एक ग्लोबल नेटवर्क है. वहीं, आसान भाषा में समझें तो इंटरनेट एक ऐसी जगह हैं जो नॉलेज से भरा हुआ है. अगर इसका सही इस्तेमाल किया जाए तो आप ज्ञानी बन सकते हैं और अगर सही इस्तेमाल नहीं किया तो साइबर क्रिमिनल बन सकते हैं. इंटरनेट की इस काली दुनिया को डार्क वेब कहा जाता है.
क्या है डार्क वेब: डार्क वेब, इंटरनेट का एक छिपा हुआ हिस्सा है जिसे सर्च इंजन्स के जरिए इंडेक्स नहीं किया जाता है. इसे Tor जैसे स्पेशलाइज्ड ब्राउजर द्वारा ही एक्सेस किया जा सकता है. यह कानूनी और अवैध दोनों तरह की एक्टिविटीज को होस्त करता है. इसमें स्कैम और अवैध कंटेंट का जोखिम भी रहता है. इंटरनेट पर लाखों वेब पेज, डेटाबेस और सर्वर के साथ इंटरनेट बहुत बड़ा है जो 24 घंटे तक काम करता है. लेकिन इंटरनेट पर जो साइट्स दिखती हैं या फिर गूगल और याहू के साथ जितने इंटरनेट का आप इस्तेमाल करते हैं वो इंटरनेट के समुद्र का एक छोटा-सा हिस्सा है.
कैसे काम करता है डार्कवेब? डार्क वेब को ही डार्क नेट कहा जाता है. आपकी ऑनलाइन एक्टिविटीज को प्राइवेट रखने के लिए डार्क वेब एडवांस एन्क्रिप्शन का इस्तेमाल करता है. आपको कंपनियां जो एन्क्रिप्शन उपलब्ध कराती हैं उनसे यह एडवांस एन्क्रिप्शन कैसे अलग होता है. डार्क वेब तक पहुंचने के लिए लोगों को एक सीक्रेट रास्ता खोजना होता है जिसके लिए Tor ब्राउजर की जरूरत होती है. ऐसा करने पर कोई भी आपकी जासूसी नहीं कर पाता है.
डार्क वेब ओनियन राउटिंग ब्राउजर पर काम करता है. इसमें एक नहीं बल्कि कई IP एड्रेस होता है. ऐसे में इन्हें ट्रैक या ट्रेस करना आसान नहीं होती है. हम जैसे लोग तो इसे ट्रैक नहीं कर सकते हैं लेकिन जो लोग साइबर मामलों के एक्सपर्ट हैं उनकी नजरों से यह नहीं बच सकता है. यहां पर अवैध तरीके से सीक्रेट चीजें बेची जाती हैं. ड्रग्स बेचना, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग, गंदी फिल्में बेचना, स्मगलिंग जैसे काम यहां किए जाते हैं. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि साइबर क्रिमिनल्स के लिए डार्क वेब किसी स्वर्ग से कम नहीं है.