छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में नक्सलवाद के खिलाफ एक बड़ी सफलता हासिल हुई है. गुरुवार को पांच जिलों- बीजापुर (25), दंतेवाड़ा (15), कांकेर (13), नारायणपुर (8), और सुकमा (5) में 66 नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. इनमें से 49 नक्सलियों पर कुल 2.27 करोड़ रुपये का इनाम था, जिनमें 27 महिलाएं शामिल थीं. पुलिस अधिकारियों के अनुसार, नक्सलियों का यह आत्मसमर्पण "खोखली" नक्सली विचारधारा से मोहभंग, संगठन के भीतर मतभेद, और निर्दोष आदिवासियों पर अत्याचारों से निराशा के कारण हुआ. कई नक्सलियों ने 'नियद नेल्लानार' योजना और बस्तर रेंज पुलिस की 'पुना मार्गम' पुनर्वास पहल का समर्थन भी किया.
प्रमुख नक्सली नेताओं का आत्मसमर्पण
बीजापुर में 25 में से 23 नक्सलियों पर 1.15 करोड़ रुपये का इनाम था. इनमें रामन्ना इरपा (37), जो माओवादी ओडिशा राज्य और विशेष क्षेत्रीय समिति का सदस्य था, पर 25 लाख रुपये का इनाम था. उनकी पत्नी रमे कलमु (30), जो प्लाटून पार्टी समिति की सदस्य थी, पर 8 लाख रुपये का इनाम था. अन्य नक्सली जैसे सुक्कू कलमु (38), बबलू मड़वी (30), कोसी मड़कम (28), और रीना वंजम (28) पर भी 8 लाख रुपये का इनाम था, जैसा कि बीजापुर एसपी जितेंद्र कुमार यादव ने बताया.
दंतेवाड़ा में 'लोन वर्राटु' का प्रभाव
दंतेवाड़ा में 15 नक्सलियों में से पांच पर 17 लाख रुपये का इनाम था, जिसमें बुद्धराम उर्फ लालू कुहराम और उनकी पत्नी कमली उर्फ मोती पोतावी पर क्रमशः 8 लाख और 5 लाख रुपये का इनाम था, जैसा कि अतिरिक्त एसपी उदित पुष्कर ने बताया. 2020 में शुरू हुए 'लोन वर्राटु' अभियान के तहत दंतेवाड़ा में अब तक 1,020 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है.
कांकेर और नारायणपुर में आत्मसमर्पण
कांकेर में 13 नक्सलियों पर 62 लाख रुपये का इनाम था, जबकि नारायणपुर में 8 नक्सलियों पर 33 लाख रुपये का इनाम था. इनमें वट्टी गंगा उर्फ मुकेश (44), माओवादी उत्तरी ब्यूरो तकनीकी टीम का प्रभारी, पर 8 लाख रुपये का इनाम था, जैसा कि एसपी रॉबिन्सन गुरिया ने बताया.
पुनर्वास और प्रोत्साहन
आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को तत्काल 50,000 रुपये की सहायता दी गई और राज्य सरकार की नीति के तहत उनका पुनर्वास किया जाएगा.