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डिजिटल अरेस्‍ट का जमाना हुआ पुराना, अब डिस्‍पोजेबल डोमेन्‍स चुरा रहे आपकी जानकारी; समझें बचने का तरीका

Disposable Domains Scam: साइबर क्राइम तेजी से बढ़ता जा रहा है और डिजिटल दुनिया में ऑनलाइन ठगी के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं. अब साइबर क्रिमिनल्स डिस्पोजेबल डोमेन्स का इस्तेमाल करने लगे हैं. इससे लोगों को चूना लगा रहे हैं. 

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Edited By: Shilpa Srivastava
new online scam

Disposable Domains Scam: साइबर क्राइम तेजी से बढ़ता जा रहा है और डिजिटल दुनिया में ऑनलाइन ठगी के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं. जहां एक तरफ डिजिट अरेस्ट के मामले आ रहे हैं, वहीं अब एक नया तरीका भी सामने आ रहा है स्कैम का. अब साइबर क्रिमिनल्स डिस्पोजेबल डोमेन्स का इस्तेमाल करने लगे हैं. इससे लोगों को चूना लगा रहे हैं. 

गृह मंत्रालय के तहत आने वाले @Cyberdost ने भी इसे लेकर अलर्ट जारी किया है. इसका कहना है कि यह एक ऐसा जाल है जो कुछ ही समय में इंटरनेट पर एक्टिव हो जाता है और लोगों की निजी जानकारी चुराकर गायब हो जाता है.

क्या होते हैं डिस्पोजेबल डोमेन्स?

डिस्पोजेबल डोमेन्स की बात करें तो ये वो वेबसाइट्स होती हैं जिन्हें कुछ ही समय के लिए बनाया जाता है, महज कुछ ही घंटे या एक दिन के लिए. दिखने में तो ये वेबसाइट्स असली लगती हैं. इन्हें ओरिजिनल वेबसाइट्स की तरह कॉपी किया जाता है. फिर जैसे ही लोग इनके जरिए शॉपिंग करते हैं या फिर जानकारी एंटर करते हैं, वैसे ही वो स्कैम का शिकार हो जाते हैं. 

फर्जी डोमेन्स पहचानने का तरीका: 

इन वेबसाइटों के यूआरएल को ध्यान से देखना चाहिए. अगर किसी डोमेन में “.click”, “.buzz”, “.monster” जैसे शब्द लिखे हैं तो आपको सावधान रहने की जरूरत है. अगर वेबसाइट के नाम या स्पेलिंग में कुछ दिक्कत है तो वो फेक वेबसाइट हो सकती है. उदाहरण के लिए- Gooogle या Amaazon. इस तरह के लिंक अक्सर एसएमएस, ईमेल या सोशल मीडिया के जरिए भेजे जाते हैं. 

इनका डोमेन्स का मुख्य उद्देश्य यूजर की जानकारी चुराना. ये वेबसाइट्स आपके पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड की जानकारी चुराती हैं. यहां तक कि आपके मोबाइल या कंप्यूटर में वायरस भी डाल सकती हैं. नकली ऑफर और छप्परफाड़ छूट के लालच में लोग ऐसी वेबसाइट्स पर भरोसा कर लेते हैं और अपना पैसा खो बैठते हैं.

ये डोमेन्स साइबर क्रिमिनल्स के लिए क्यों फायदेमंद हैं?

इन डोमेन्स को खरीदना बहुत सस्ता होता है और इनका सेटअप करना बेहद आसान. एक ही बार में सैकड़ों नकली वेबसाइट्स बनाई जा सकती हैं. सबसे बड़ी बात ये कि इन वेबसाइट्स को ट्रेस कर पाना बहुत मुश्किल होता है, जिससे अपराधी आसानी से बच निकलते हैं.

सुरक्षित रहने के लिए क्या करें: 

  • किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक करने से बचें

  • केवल भरोसेमंद वेबसाइट से ही खरीदारी करें

  • URL को ध्यान से पढ़ें और उसमें मौजूद शब्दों पर शक करें

  • कोई भी डील अगर बहुत अच्छी लगे, तो दोबारा सोचें