Digital Personal Data Protection Rules: सरकार ने डाटा चोरी के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए नए और सख्त कदम उठाए हैं. अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और टेलीकॉम कंपनियों पर सरकार की पूरी नजर होगी. सरकार ने डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन के नए नियम बनाए हैं, जिनका असर स्टार्टअप्स और बड़ी टेक कंपनियों पर पड़ेगा. नए नियमों के तहत कंपनियों को किसी भी तरह का डाटा देश के बाहर भेजने से पहले एक कमेटी से परमिशन लेनी होगी.
टेलीकॉम कंपनियों को अब SDF (सर्विस डाटा फ्लो) का दर्जा दिया जाएगा. इसका मतलब है कि टेलीकॉम कंपनियों के पास जो भी कस्टमर्स का डाटा होगा, उसे सुरक्षित रखना होगा. SDF के तहत किसी कस्टमर की कॉल का वॉयस डाटा या किसी वेबसाइट से वीडियो स्ट्रीमिंग का डाटा भी शामिल होगा. यह डाटा सिक्योर तरीके से मैनेज किया जाएगा जिससे किसी भी तरह के डाटा चोरी या दुरुपयोग को रोका जा सके.
अगर किसी कंपनी के डाटा में सेंध लगती है या यूजर के पर्सनल डाटा का गलत इस्तेमाल होता है, तो कंपनी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा. सोशल मीडिया या फाइनेंशियल कंपनियों को प्रभावित यूजर्स को तुरंत जानकारी देनी होगी. कंपनियों को यह भी बताना होगा कि डाटा लीक कैसे हुआ और आगे इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे.
सरकार ने यह भी कहा है कि बड़ी टेक कंपनियों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को यूजर्स का कुछ डाटा भारत में ही स्टोर करना होगा. इसका मतलब है कि कंपनियों को भारत में अपने सर्वर लगाने होंगे. इससे डाटा लीक का खतरा कम हो जाएगा और डाटा सुरक्षित रहेगा. हालांकि, स्टार्टअप्स के लिए यह थोड़ा महंगा साबित हो सकता है क्योंकि उन्हें नए नियमों का पालन करने के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ेगा.
डाटा इकट्ठा करने के लिए अब डिजिटल टोकन का इस्तेमाल अनिवार्य होगा. कंपनियों को कस्टमर्स से डाटा कलेक्ट करने से पहले उनकी सहमति लेनी होगी. इसके अलावा, कंसेंट मैनेजर्स को डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड के साथ रजिस्ट्रेशन कराना होगा. किसी कंपनी की नेटवर्थ कम से कम 12 करोड़ रुपये होनी चाहिए, तभी वह डाटा कलेक्शन कर सकेगी.