menu-icon
India Daily

'H-1B वीजा फीस विवाद अमेरिका की घरेलू राजनीति', शशि थरूर ने ट्रंप पर लगाया ये बड़ा आरोप

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अमेरिका द्वारा एच-1बी वीजा फीस को 1 लाख डॉलर करने के फैसले को घरेलू राजनीति से प्रेरित बताया है. उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप अपनी एंटी-इमिग्रेशन छवि को और मजबूत कर 'MAGA' समर्थकों को खुश करना चाहते हैं.

auth-image
Edited By: Kuldeep Sharma
shashi tharoor
Courtesy: social media

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एच-1बी वीजा की नई फीस नीति लागू की है, जिसके तहत अब नए आवेदकों को एकमुश्त 1 लाख डॉलर चुकाने होंगे. इस फैसले ने भारतीय समुदाय और आईटी क्षेत्र में चिंता बढ़ा दी है. भारत से अमेरिका जाने वाले पेशेवरों का मानना है कि यह कदम न केवल रोजगार के अवसरों को सीमित करेगा बल्कि अमेरिकी कंपनियों के लिए भी चुनौती खड़ी करेगा.

शशि थरूर ने इस फैसले को अमेरिकी घरेलू राजनीति से जोड़ा. उनके मुताबिक, ट्रंप अपने 'MAGA' (Make America Great Again) समर्थकों को लुभाने के लिए एंटी-इमिग्रेशन नीतियां लागू कर रहे हैं. थरूर ने कहा कि ट्रंप मानते हैं कि एच-1बी वीजा के जरिए भारतीय प्रोफेशनल्स कम वेतन पर काम करके अमेरिकी नागरिकों के अवसर छीन लेते हैं. इसी धारणा को भुनाने के लिए यह फैसला लिया गया है.

भारतीय पेशेवरों पर सीधा असर

थरूर ने चेतावनी दी कि यह नीति सीधे भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स को प्रभावित करेगी, जो अमेरिका में एच-1बी वीजा धारकों का 70% हिस्सा हैं. उन्होंने कहा कि अब केवल उच्च स्तर के, अपूरणीय और महंगे प्रोफेशनल्स को ही कंपनियां इस भारी फीस के साथ नियुक्त करेंगी. यानी मध्यम और शुरुआती स्तर की नौकरियों पर भारतीयों की हिस्सेदारी घट जाएगी.

ट्रंप का तर्क और सुरक्षा बहस

ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी वीजा को 'दुरुपयोग' और 'राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे' से जोड़ा है. ट्रंप का कहना है कि यह वीजा अमेरिकी नागरिकों के रोजगार छीन रहा है और कंपनियां इसे लागत घटाने के लिए इस्तेमाल कर रही हैं. थरूर ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि यह तर्क भ्रामक है और असल उद्देश्य राजनीतिक लाभ उठाना है.

भारतीय समुदाय की चिंता

भारतीय मूल का बड़ा समुदाय अमेरिका में रहता और काम करता है. नई फीस नीति से उनके बीच असुरक्षा की भावना बढ़ गई है. आईटी कंपनियों को भी आशंका है कि इतनी ऊंची फीस से उनके ऑपरेशंस प्रभावित होंगे और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में वे पिछड़ सकती हैं. थरूर ने कहा कि यह कदम भारतीय पेशेवरों और अमेरिकी कंपनियों दोनों के लिए घातक साबित होगा.