Gyanvapi Case: ज्ञानवापी परिसर के दक्षिणी तहखाने में हिंदुओं के पूजा-पाठ पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट के इंकार के बाद AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी की प्रतिक्रिया सामने आई है. ओवैसी ने अपने सोशल मीडिया एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट कर लिखा कि पूजा स्थल अधिनियम भारतीय संविधान के तहत धर्मनिरपेक्षता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को लागू करने के लिए एक गैर-अपमानजनक दायित्व लगाता है.
ओवैसी ने अपने पोस्ट में आगे लिखा कि गैर-प्रतिगमन मौलिक संवैधानिक सिद्धांतों की एक मूलभूत विशेषता है जिसमें धर्मनिरपेक्षता एक मुख्य घटक है. पूजा स्थल अधिनियम इस प्रकार एक विधायी हस्तक्षेप है जो हमारे धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की एक अनिवार्य विशेषता के रूप में गैर-प्रतिगमन को संरक्षित करता है. बता दें, पूजा स्थल अधिनियम 1991 में कहा गया है कि 15 अगस्त 1947 को मौजूद पूजा स्थल का धार्मिक चरित्र वही रहेगा जो उस दिन मौजूद था.
“The Places of Worship Act imposes a non-derogable obligation towards enforcing our commitment to secularism under the Indian Constitution....Non-retrogression is a foundational feature of the fundamental constitutional principles of which secularism is a core component. The… https://t.co/ZmfFPYwbvO
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) April 1, 2024
ज्ञानवापी परिसर स्थित तहखाने में हिंदुओं के पूजा पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि तहखाने का प्रवेश द्वार दक्षिण दिशा में है और मस्जिद का प्रवेश द्वार उत्तर दिशा में हैं. कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्ष ज्ञानवापी परिसर में बिना किसी बाधा के अपने धार्मिक अनुष्ठान कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि दोनों पक्ष एक-दूसरे को प्रभावित नहीं करते हैं.
ज्ञानवापी परिसर स्थित तहखाने में वाराणसी जिला कोर्ट ने 31 जनवरी को हिन्दुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार दिया था. अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि एक हिंदू पुजारी ज्ञानवापी परिसर के दक्षिणी तहखाने में रखे मूर्तियों की पूजा-पाठ कर सकता है. इसके बाद काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट ने शैलेन्द्र कुमार पाठक को पूजा-पाठ करने के लिए नामित किया और तब से वह तहखाने में पूजा पाठ कर रहे हैं.