menu-icon
India Daily

'बच्चों का रेप हो रहा है, तुम इजरायल को बचा रहे हो', एपस्टीन फाइल्स पर काश पटेल का अमेरिका में जमकर विरोध

अमेरिकी एफबीआई निदेशक काश पटेल को वाशिंगटन में सख्त विरोध का सामना करना पड़ा, जब एक्टिविस्ट्स ने उन पर बच्चों के शोषण के मामलों की अनदेखी और इजराइल के हित साधने का आरोप लगाया.

auth-image
Edited By: Kuldeep Sharma
kash patel
Courtesy: SOCIAL MEDIA

एफबीआई निदेशक काश पटेल एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं. वाशिंगटन स्थित अमेरिकी कैपिटल बिल्डिंग में उन्हें एक्टिविस्ट्स के कड़े विरोध और नारेबाजी का सामना करना पड़ा. आरोप लगाया गया कि वह बच्चों के साथ हुए यौन शोषण के मामलों को गंभीरता से नहीं ले रहे और अमेरिकी जनता की सेवा करने के बजाय इजराइल के हित साध रहे हैं. यह घटना उस समय सामने आई, जब सीनेट ज्यूडिशियरी कमेटी में पटेल से जेफ्री एप्स्टीन फाइलों पर सवाल-जवाब हो रहे थे.

एक वायरल वीडियो में साफ दिखाई देता है कि एक एक्टिविस्ट पटेल से आक्रामक अंदाज में कहता है, 'आपको बच्चों के रेप की कोई परवाह नहीं है.' इस दौरान पटेल चुप्पी साधे नजर आते हैं और सवालों को टालते हुए दिखते हैं. आरोप लगाने वालों ने यह भी कहा कि वह अमेरिकी नागरिकों के बजाय इजराइल के लिए काम कर रहे हैं.

सीनेट कमेटी में तीखे सवाल

सुनवाई के दौरान मैरीलैंड के डेमोक्रेट प्रतिनिधि जेमी रास्किन ने पटेल से पूछा कि कैसे वह पहले पारदर्शिता और जवाबदेही की बात कर रहे थे और अब एप्स्टीन केस को दबाने का हिस्सा बन गए हैं. पटेल ने जवाब दिया कि कानून की सीमा में रहते हुए एफबीआई ने सारी जानकारी पहले ही सार्वजनिक कर दी है. हालांकि, उन्होंने संकेत दिए कि वह ट्रंप के दावे की जांच करेंगे जिसमें कहा गया था कि एप्स्टीन के पास राष्ट्रपति के हस्ताक्षर वाला संदिग्ध पत्र मिला है.

आलोचना के घेरे में पटेल

पटेल को केवल डेमोक्रेट्स ही नहीं बल्कि रिपब्लिकन हलकों से भी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. कंजरवेटिव एक्टिविस्ट क्रिस्टोफर रूफो ने सवाल उठाया कि क्या पटेल एफबीआई चलाने के लिए सही व्यक्ति हैं. वहीं, रिपब्लिकन सांसदों ने भी एप्स्टीन केस से जुड़े दस्तावेजों की रिलीज पर सवाल उठाए.

पुराने विवाद भी बने मुद्दा

पटेल पर पहले भी विवाद खड़े हुए हैं. हाल ही में यूटा यूनिवर्सिटी में ट्रंप समर्थक चार्ली किर्क की हत्या के बाद उनके शुरुआती बयानों पर सवाल उठे थे. उन्होंने पहले एक संदिग्ध की गिरफ्तारी की घोषणा की थी, लेकिन दो घंटे बाद बयान बदलते हुए कहा कि संदिग्ध को रिहा कर दिया गया है. बाद में वास्तविक आरोपी को 33 घंटे बाद पकड़ा गया. इन घटनाओं ने उनकी कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.