Agra News: आगरा के रुनकता की रहने वाली 14 साल की पलक बचपन से कभी स्कूल नहीं गई. कारण ये था कि वो दिव्यांग है और एक आंख से देख नहीं सकती. दिव्यांगता को दरकिनार करते हुए पलक ने पढ़ने की इच्छा जताई. परिजन उसे लेकर प्राइमरी स्कूल पहुंचे और दूसरी कक्षा में एडमिशन कराया. पलक दो महीने स्कूल गई, लेकिन चौथी क्लास में बैठी.
पलक के परिजन का दावा है कि प्राइमरी स्कूल की हेडमास्टर मंजू देवी ने पलक को एडमिशन नहीं दिया. इसके बाद पलक अपने पिता के साथ डीएम भानु चंद्र के पास पहुंची और पढ़ाई की इच्छा जताई. डीएम ने मामले को संज्ञान में लेते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी (BEO) को निर्देश दिया कि बच्ची का एडमिशन कराया जाए. कहा जा रहा है कि डीएम के आदेश के बाद पलक का सूर स्मारक इंटर कॉलेज में 7वीं में एडमिशन करा दिया. इस कॉलेज में सिर्फ नेत्रहीन बच्चे ही पढ़ाई करते हैं.
7वीं में एडमिशन कराए जाने की जानकारी के बाद पलक के पिता पेशे से मजदूर धर्मप्रकाश ने आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि मेरी बेटी कभी स्कूल ही नहीं गई, उसका जबरन 7वीं में एडमिशन करा दिया गया. वो 7वीं की पढ़ाई कैसे कर पाएगी? धर्मप्रकाश ने बताया कि मेरी पत्नी ने पलक को सिर्फ अक्षर ज्ञान दिया है, जिससे पलक थोड़ा बहुत पढ़ लेती है. इसलिए वो चौथी क्लास में एडमिशन चाहती है.
एडमिशन न मिलने और डीएम तक इसकी शिकायत करने की जानकारी के बाद प्राइमरी स्कूल की हेडमास्टर छात्रा के घर पहुंची. यहां मंजू देवी ने छात्रा और उसके पिता को जमकर खरी-खोटी सुनाई. उधर, बच्ची का सीधे 7वीं में एडमिशन कराए जाने की जानकारी के बाद डीएम ने बेसिक शिक्षा अधिकारी जितेंद्र गौड़ से सवाल पूछ लिया. फिलहाल, बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा है कि उम्र के हिसाब से बच्ची पढ़ाई में तेज है. 6 से 14 साल के उम्र के बच्चों का 8वीं तक में एडमिशन हो जाता है. अगर पलक या उनके परिजन को शिकायत है, तो इसकी जांच कराई जाएगी.
वहीं, डीएम भानु चंद्र गोस्वामी ने कहा कि पलक जिस क्लास में एडमिशन चाहती है, उसे उसी क्लास में एडमिशन मिलना चाहिए. अगर मामले में किसी तरह की कोई लापरवाही बरती गई है, तो संबंधित अधिकारी से जवाब मांगा जाएगा. पलक के पिता के मुताबिक, वे पेशे से मजदूर हैं और उनके चार बच्चे हैं. दो बेटियों की शादी हो चुकी है, जबकि उनका बेटा जॉब करता है. सबसे छोटी बेटी 14 साल की पलक एक आंख से देख नहीं पाता है, इसलिए वो शुरुआत से स्कूल नहीं गई.