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जब NOTA से भी कम वोट पाकर 20 दलों के 33 प्रत्याशी बने सांसद, आज कहानी नोटा को मिले वोटों की

Lok Sabha Elections 2024 : लोकसभा चुनाव में नोटा से भी कम वोट पाकर कई दलों के उम्मीदवार लोकसभा पहुंचने में कामयाब रहे हैं. आज हम आपको 20 दलों के 33 ऐसे ही प्रत्याशियों की कहानी सुनाने जा रहे हैं.

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Pankaj Soni

Lok Sabha Elections 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 के लिए चुनावी समर सज गया है. राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों को को चुनाव मैदान में उतार रहे हैं. चुनाव आयोग आम जनता से अधिक से अधिक मतदान करने की अपील कर रहा है. साथ ही आयोग ने ईवीएम में एक नोटा का विकल्प दे रखा है.अगर किसी व्यक्ति को कोई उम्मीदवार पसंद नहीं आता तो वह नोटा का बटन दबा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में नोटा का विकल्प देने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. इसके बाद से आम नागरिकों के लिए यह विकल्प ईवीएम में दिया गया है. नोटा का प्रत्याशियों के खिलाफ अविश्वास जताने के लिए बड़े हथियार के रूप में लोगों ने इस्तेमाल किया.

2019 में नोटा को कितने वोट मिले

अगर पिछले चुनावों में नोटा को मिले वोटों के बारे में देखें तो 2019 में 65 लाख ,22 हजार 772 मतदाताओं ने नोटा के पक्ष में मतदान किया था. नोटा को मिले वोटों से जोड़कर अगर कुछ दलों के प्रत्याशियों को मिले वोटों को देखें तो रोचक बात सामने आती है. 2019 में देश में 20 दल ऐसे थे, जिनके कुल वोट नोटा से कहीं कम थे, मगर उनके 33 प्रत्याशी जीतकर संसद पहुंचे थे.

अगर 2014 के आम चुनाव की बात करें तो पहली बाद नोटा का इस्तेमाल हुआ और 60 लाख से अधिक वोटरों ने नोटा का बटन दबाया. यह कुल मतदान का 1.08 फीसदी था. वहीं, जदयू, लोजपा, शिरोमणि अकाली दल, अपना दल, एआईयूडीएफ, सीपीआई, जदएस, इनेलो, झामुमो जैसे 20 दलों के कुल मत नोटा से कम रहे, मगर उसके 42 प्रत्याशी सांसद बने.

नोटा से कम वोट लेकिन सरकार में हुए शामिल

2014 के आम चुनाव में शिरोमणि अकाली दल के 4 प्रत्याशी जीतकर लोकसभा में पहुंचे. उनको कुल 36.36 लाख वोट मिले थे, जो नोटा को मिले कुल वोट का 61 फीसदी ही था. बिहार की 6 सांसदों वाली लोजपा को कुल 22.95 लाख वोट मिले थे, जो नोटा को मिले कुल वोट का सिर्फ 38.25 फीसदी था. यूपी में एनडीए के सहयोगी अपना दल 8.21 लाख वोट के साथ दो सीटें जीतने में कामयाब रही थी. इसका वोट भी नोटा के मुकाबले सिर्फ 13.68 फीसदी था. दिलचस्प यह कि नोटा से भी कम महज 43.27 लाख वोट पाकर सिर्फ एक सीट जीतने वाली सीपीआई 2014 तक राष्ट्रीय दलों में शामिल थी.

23 सीटों पर हार-जीत के अंतर से ज्यादा नोटा को वोट

नोटा को 2014 में 60 लाख से ज्यादा वोट मिले. यूपी में सबसे ज्यादा 6 लाख लोगों ने नोटा का बटन दबाया. यूपी में कुल 23 सीटें ऐसी रहीं, जहां हार-जीत के अंतर से ज्यादा नोटा को वोट मिले. 2014 में मध्य प्रदेश में 3.91 लाख, गुजरात में 4.54 लाख, बिहार में 5.80 लाख, ओडिशा में 3.32 लाख, छत्तीसगढ़ में 2.24 लाख, झारखंड में 1.90 लाख वोट मिले थे.

नोटा से कम वोट पाकर भी  20 दलों के 33 प्रत्याशी बने सांसद 

2019 के चुनाव में शिअद, सीपीआई, जदएस, अपना दल, लोजपा, आप, झामुमो, आईयूएमएल, एआईयूडीएफ, एआएमआईएम, आरएसपी, आजसू, एनडीपीपी, जेके नेशनल कांन्फ्रेंस समेत 20 दलों के 33 प्रत्याशी चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचे. इन दलों ने अलग-अलग जितने मत हासिल किए, उससे कहीं ज्यादा वोटा नोटा को मिले. इनमें से शिअद, लोजपा, अपना दल ने एनडीए के महत्वपूर्ण घटक दलों के तौर पर हिस्सा लिया. बिहार की गोपालगंज सीट पर सबसे ज्यादा 51,660 लोगों ने नोटा चुना, जबकि लक्षदीप में नोटा के पक्ष में सबसे कम 100 वोट पड़े.

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