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India Daily

टेलर कन्हैया लाल की पत्नी ने पीएम मोदी को लिखा खत, 'उदयपुर फाइल्स' को लेकर खत में लिखी ये बात

10 जुलाई को फिल्म की रिलीज से ठीक एक दिन पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने इसकी रिलीज पर अस्थायी रोक लगा दी.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Tailor Kanhaiya Lals wife wrote a letter to PM Modi seeking Udaipur Files release

उदयपुर के दिवंगत दर्जी कन्हैया लाल तेली की पत्नी जशोदा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक भावुक पत्र लिखकर उनकी मदद मांगी है. वे चाहती हैं कि उनके पति की हत्या पर आधारित फिल्म उदयपुर फाइल्स को रिलीज करने की अनुमति दी जाए. यह फिल्म उनके पति की क्रूर हत्या की सच्चाई को दुनिया के सामने लाने का माध्यम है. 

दिल्ली हाईकोर्ट ने लगाई रिलीज पर रोक

10 जुलाई को फिल्म की रिलीज से ठीक एक दिन पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने इसकी रिलीज पर अस्थायी रोक लगा दी. कोर्ट का कहना था कि फिल्म की थीम में नफरत भरे भाषण और मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने की आशंका है. इस फैसले के बाद जशोदा ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा व्यक्त की. उन्होंने लिखा, “मुस्लिम संगठनों और उनके वकील ने मेरे पति की हत्या पर बनी इस फिल्म को कोर्ट के जरिए रोक दिया. मैंने यह फिल्म देखी है, यह मेरे पति की हत्या की कहानी है. इसमें कुछ भी गलत नहीं है. तीन साल पहले उनकी हत्या हुई और अब वकील कह रहे हैं कि जो हुआ, उसे फिल्म में नहीं दिखाया जा सकता. मेरे बच्चे कहते हैं कि अब मोदी सरकार इस फिल्म पर फैसला लेगी.”

जशोदा की गुहार: सच्चाई को सामने लाने की अनुमति दें

जशोदा ने अपने पत्र में लिखा, “आपको पता है कि हमारे साथ कितना बड़ा अन्याय हुआ. जिन लोगों ने मेरे पति की हत्या की, वही अब कोर्ट जा रहे हैं. मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि इस फिल्म को रिलीज करवाएं ताकि पूरी दुनिया सच्चाई जान सके.” उन्होंने पीएम से मुलाकात का समय मांगते हुए कहा, “मैं अपने दोनों बच्चों के साथ दिल्ली आकर आपसे मिलना चाहती हूं.” 

कैसे हुई थी कन्हैया लाल की हत्या

28 जून, 2022 को उदयपुर में कन्हैया लाल तेली की दुकान पर मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ने ग्राहक बनकर उन पर हमला किया और उनकी हत्या कर दी. यह हत्या कन्हैया लाल द्वारा सोशल मीडिया पर नूपुर शर्मा के समर्थन में की गई पोस्ट के कारण हुई थी. नूपुर शर्मा को एक टीवी डिबेट में पैगंबर के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए बीजेपी से निलंबित किया गया था. 

सांप्रदायिक भावनाओं को भड़का सकते हैं

दिल्ली हाईकोर्ट में दारुल उलूम देवबंद के प्रिंसिपल मौलाना अरशद मदनी ने एक जनहित याचिका दायर की. उन्होंने दावा किया कि फिल्म में ऐसे संवाद और दृश्य हैं जो हाल के दिनों में सांप्रदायिक अशांति का कारण बने थे और अब भी सांप्रदायिक भावनाओं को भड़का सकते हैं. मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और जस्टिस अनीश दयाल की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन के फैसले की समीक्षा के लिए केंद्र सरकार से संपर्क करने को कहा.