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India Daily

Jhalawar School Collapses: 7 बच्चों की मौत के बाद फूटा स्थानीय लोगों का गुस्सा, तोड़ी पुलिस की गाड़ियां, हुआ लाठीचार्ज

झालावाड़ जिले के पीपलोदी गांव में एक सरकारी स्कूल की जर्जर छत ढहने से हुए दिल दहलाने वाले हादसे ने पूरे राजस्थान को स्तब्ध कर दिया. इस दुखद घटना में 7 मासूम बच्चों की जान चली गई, जबकि 28 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए.

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Edited By: Garima Singh
Jhalawar school accident 
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Jhalawar school accident: झालावाड़ जिले के पीपलोदी गांव में एक सरकारी स्कूल की जर्जर छत ढहने से हुए दिल दहलाने वाले हादसे ने पूरे राजस्थान को स्तब्ध कर दिया. इस दुखद घटना में 7 मासूम बच्चों की जान चली गई, जबकि 28 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए. हादसे के बाद ग्रामीणों का गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा, जिसके चलते मन0थाना-अकलेरा रोड पर बुराड़ी चौराहा जाम कर दिया गया. प्रदर्शनकारियों ने मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन तेज कर दिया और इस दौरान तीन पुलिस वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया.

हादसे के बाद युवा नेता नरेश मीणा घटनास्थल पर पहुंचे और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की. उन्होंने मृतकों के परिजनों के लिए 1 करोड़ रुपये और घायलों के लिए 50 लाख रुपये मुआवजे की मांग की. झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के बाहर धरना दे रहे नरेश मीणा को पुलिस ने हिरासत में ले लिया, जिसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया. नरेश मीणा ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा, “यदि मुआवजे की मांग पूरी नहीं हुई तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और सांसद दुष्यंत सिंह को झालावाड़ में घुसने नहीं दिया जाएगा.” इस दौरान जिला प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अस्पताल परिसर में 300 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया. जिला कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ और एसपी अमित कुमार ग्रामीणों को समझाने में जुटे रहे.

शिक्षा विभाग की त्वरित कार्रवाई

हादसे के बाद शिक्षा विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए स्कूल की हेडमास्टर मीना गर्ग सहित चार शिक्षकों जावेद अहमद, रामविलास लववंशी, कन्हैयालाल सुमन, और बद्रीलाल लोधा को निलंबित कर दिया. साथ ही, राजस्थान मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया और जिला कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी, शिक्षा निदेशक, और एसपी को नोटिस जारी कर 7 अगस्त तक अनुपालन रिपोर्ट मांगी. आयोग के अध्यक्ष जस्टिस जीआर मूलचंदानी ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा देने के निर्देश दिए.

भारी बारिश ने बरपाया कहर

जानकारी के अनुसार, हादसे के समय 7वीं कक्षा के 35 बच्चे क्लासरूम में पढ़ रहे थे. भारी बारिश के कारण कमजोर छत अचानक ढह गई, जिसके मलबे में बच्चे दब गए. ग्रामीणों और शिक्षकों ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया और घायलों को मनोहरथाना अस्पताल ले जाया गया. वहां से 25 बच्चों को झालावाड़ जिला अस्पताल रेफर किया गया. इस हादसे में मीना (8), कुंदन (10), पायल (14), कार्तिक (18), प्रियंका (14), कान्हा (6), और हरीश (8) की जान चली गई.

भविष्य में ऐसी घटनाओं की रोकथाम जरूरी

यह हादसा स्कूलों की जर्जर इमारतों और रखरखाव की कमी की गंभीर समस्या को उजागर करता है. सरकार और प्रशासन को तत्काल स्कूल भवनों की जांच और मरम्मत के लिए कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी को रोका जा सके.