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India Daily

'मेरा कसूर क्या है', पाकिस्तानी गोलाबारी में उजड़ गया पंजाब के शख्स का परिवार, पहले मां और अब पिता की मौत

फिरोजपुर के खाई फेमे के गांव के निवासी लखविंदर सिंह का मंगलवार को इलाज के दौरान निधन हो गया. उनकी पत्नी की 13 मई को चोटों के कारण पहले ही मौत हो चुकी थी.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
 Punjab man Jaswinder Singh family destroyed in Pakistani shelling during Operation Sindoor

पंजाब के फिरोजपुर के रहने वाले एक 57 वर्षीय किसान, जो मई में पाकिस्तान की तरफ से हुई घुसपैठ के दौरान घर पर  मिसाइल का मलबा गिरने से घायल हो गए थे, का मंगलवार को लुधियाना में निधन हो गया. लखविंदर सिंह का घर इस पाकिस्तानी ड्रोन के मलबे से क्षतिग्रस्त हो गया था. इस हमले ने उनके परिवार को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया था.

PTI की रिपोर्ट के अनुसार, फिरोजपुर के खाई फेमे के गांव के निवासी लखविंदर सिंह को मई में ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान एक पाकिस्तानी ड्रोन के मलबे से चोटें आई थीं. उनकी 50 वर्षीय पत्नी सुखविंदर कौर और 24 वर्षीय बेटे जसविंदर सिंह को भी जलने की चोटें आई थीं. तीनों को पहले फिरोजपुर के अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन बाद में लुधियाना के दयानंद मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (DMCH) में स्थानांतरित कर दिया गया. सुखविंदर कौर की 13 मई को चोटों के कारण मृत्यु हो गई थी. लखविंदर को पिछले कुछ दिनों से वेंटिलेटर पर रखा गया था, लेकिन वह बच नहीं सके.

बेटा बोला- मेरा कसूर क्या है

लखविंदर के बेटे जसविंदर, जो इलाज के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुके हैं, ने कहा, “पहले मैंने अपनी मां को खोया, और अब मेरे पिता भी चल बसे.” उन्होंने बताया कि उन्हें अभी तक अपने पिता का शव नहीं मिला है और प्रशासन की ओर से कोई सहायता नहीं पहुंची है. जसविंदर ने दुखी मन से कहा, “मेरा क्या दोष है? मेरे पास अब सिर्फ पांच एकड़ खेती की जमीन बची है. मैं अभी भी अपनी टांगों की चोटों से उबर रहा हूं.”

ऑपरेशन सिंदूर और उसके परिणाम

भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर सुबह तड़के मिसाइल हमले किए थे. इस ऑपरेशन, जिसे कोडनेम ऑपरेशन सिंदूर दिया गया, को 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में अंजाम दिया गया, जिसमें 25 पर्यटकों सहित 26 लोगों की जान गई थी. इसके बाद, पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों पर जवाबी हमले किए और तीन दिनों तक सीमावर्ती क्षेत्रों में गोलाबारी की. पंजाब सहित पश्चिमी भारत की सीमाओं पर कई हवाई हमले किए गए, जिन्हें भारतीय सुरक्षा बलों ने 10 मई को युद्धविराम समझौते से पहले प्रभावी ढंग से नाकाम कर दिया.