CM Chair Karnataka: कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर एक बार फिर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की हालिया टिप्पणी ने नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को हवा दे दी है, हालांकि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वे अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे और मुख्यमंत्री पद के लिए "कोई रिक्ति नहीं" है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शनिवार को डीके शिवकुमार ने मीडिया से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री पद को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा, "पार्टी सही समय पर फैसला लेगी. मैं इस पर कोई चर्चा नहीं करना चाहता. यह ऐसा मुद्दा नहीं है जिस पर पहले मीडिया में चर्चा हो. हमारा काम 2028 में पार्टी को फिर से सत्ता में लाना है."
#WATCH | Shirdi, Maharashtra: On Karnataka CM post controversy, Karnataka Deputy CM DK Shivakumar says, "Nothing is being discussed now. The party will take its call at the right time. This is an issue that should not be discussed in the media. First of all, our job is to bring… pic.twitter.com/x59xUcPq30
— ANI (@ANI) July 12, 2025
हालांकि इसी दिन एक कार्यक्रम में उन्होंने जो टिप्पणी की, उसने राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी. बैंगलोर बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित नादप्रभु केम्पेगौड़ा जयंती समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा, "यहां बहुत सी कुर्सियाँ हैं, आकर बैठ जाइए. कुर्सी ढूंढना मुश्किल है. जब आपको कुर्सी मिल जाए, तो आपको आकर बेड़ा पर बैठना होगा." इस बयान को राजनीतिक संकेत के तौर पर देखा जा रहा है.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, जब शिवकुमार से पार्टी में उनके लिए मुख्यमंत्री पद को लेकर समर्थन पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, "छोड़िए. आप में से कई लोगों की भी आकांक्षाएं हैं." उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस मुद्दे पर बार-बार बोलना ठीक नहीं है और जवाब पहले ही पार्टी नेतृत्व द्वारा दिया जा चुका है.
इस पूरे घटनाक्रम पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपनी स्थिति साफ करते हुए कहा, "कोई रिक्ति नहीं है. मैं पूरी तरह से पद पर हूं और पूरा पांच साल का कार्यकाल पूरा करूंगा." उन्होंने कहा कि डीके शिवकुमार के लिए मुख्यमंत्री पद का रास्ता बनाने की अटकलें बेबुनियाद हैं.
इससे पहले भी, 2 जुलाई को सिद्धारमैया ने साफ कर दिया था कि वह मुख्यमंत्री के रूप में अपना पूरा कार्यकाल निभाएंगे. इसके जवाब में डीके शिवकुमार ने कहा था कि वह उनका समर्थन करते हैं क्योंकि उनके पास "कोई विकल्प नहीं" है, जिससे दोनों नेताओं के बीच फिलहाल सियासी संतुलन का संकेत मिला था. अब जबकि शिवकुमार की ‘कुर्सी’ वाली टिप्पणी चर्चा में है, एक बार फिर कांग्रेस के भीतर संभावित नेतृत्व परिवर्तन की संभावनाओं पर राजनीतिक हलकों में बहस छिड़ गई है.